मुजफ्फरनगर।। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को हिंसा प्रभावित मुजफ्फरनगर का दौरा किया। मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के साथ पीड़ित लोगों से मुलाकात कर उनका दुख-दर्द भी सुना। हालांकि, अखिलेश यादव को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। कवाल गांव में कुछ लोगों ने अखिलेश के खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें काले झंडे भी दिखाए। साथ ही लोगों ने आजम खान जिंदाबाद के नारे भी लगाए। गौरतलब है कि कवाल गांव से ही मुजफ्फनगर दंगे की शुरुआत हुई थी। बाद में उन्होंने मुजफ्फनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है। मुजावजे का वितरण शुरू भी कर दिया गया है। साथ ही उन्होंने हर मृतक परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि दंगे को भड़काने के लिए जो भी लोग दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री अखिलेश शुक्रवार की सुबह हेलिकॉप्टर से करीब 11 बजे सबसे पहले कवाल गांव पहुंचे, जहां वह पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। कवाल वही गांव है जहां छेड़खानी की घटना में 3 लोगों की मौत हो गई थी और बाद में महापंचायत का आयोजन होने के बाद पूरे जिले में हिंसा भड़क गई थी। अखिलेश यादव जैसे कि कवाल गांव पहुंचे, लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। नाराज लोगों ने सीएम को काले झंडे भी दिखाए। इस दौरान ये लोग आजम खान जिंदाबाद के नारे भी लगा रहे थे। लोगों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इलाके के पूर्व एसएसपी सुभाष दुबे की भूमिका की जांच की जाए। इस पर सरकार ने एसएसपी सुभाष दुबे को सस्पेंड करके उनपर विभागीय जांच बिठा दी है।
मुख्यमंत्री कवाल के बाद जिले के शाहपुर, मीरपुर और कोतवाली इलाकों में भी गए। साथ ही वह कांदला गांव जाकर हिंसा में मारे गए पत्रकार राजेश शर्मा के परिजनों से भी मिलें।
लोगों की शिकायत यह भी थी कि अखिलेश तब उनसे मिलने पहुंचे हैं, जब वे लुट चुके हैं और अपना सब कुछ खो चुके हैं। लोग इस बात से भी नाराज थे कि मुख्यमंत्री ने कोई भी ठोस आश्वासन नहीं दिया है।
गौरतलब है कि 27 अगस्त को कवाल गांव से ही सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई थी। छेड़छाड़ से शुरू हुए झगड़े ने ऐसा रूप लिया कि 2 समुदायों के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। अब तक इस हिंसा में करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है।