शाहीन बाग़ थकने लगा है , कभी वहां ५००० लोगो की भीड़ थी अब बमुश्किल २०० लोगो की भी मुश्किल हो रही है, चुनाव से पहले नेताओं से खूब मदद पाए लोग अब परेशान होने लगे है
५०० रूपए वाली चर्चा के बाद फंडिग भी मुद्दा बन गयी है I PFI पर कासी नकेल ने सभी तरह से बेबस कर दिया है २ महीने से ज्यदा समय से १०० से ज्यदा शो रूम बंद होने से शो रूम वालो ने नॉएडा जैसी जगहों की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है
हालत इस कदर ख़राब हैं की ये लोग अब किसी तरह बस इज्जत बाख जाए की मुहीम में लगे हुए हैं I कोर्ट भी इनको प्रदर्शन करने पर कुछ मना नहीं कर रहा है बस वो सड़क से हटने को कह रहा है
जामिया में छात्रों के पत्थर फेक कर लाइब्रेरी में बैठने और फिर पुलिस द्वारा पीटे जाने के विडियो आने के बाद इनकी स्थिति वैसे भी कमजोर हो रही है
अब महिलाओं के नाम पर ये किसी से भी मिलने की दुहाई दे रहे है
मैंने पहले ही कहा था की धर्म के नाम पर खिलाफत २.० का खेल मुसलमानों को ५० साल पहले की स्थिति में ला देगा
धार्मिक आन्दोलन लम्बे समय तक नहीं चलते और अपनी मौत खुद मर जाते है इनके साथ भी यही होना बाकी है