अभी अभी सूचना मिली कि दिल्ली वासी मशहूर चित्रकार, ललितकला के विद्वान तथा अनेक आंदोलनों एवं संघर्षों के अगुवा प्रो. सी. पी. कौशल जी का देहांत हो गया है। उनकी उम्र 69 वर्ष की थी, पर वे एक साल से कैंसर से ग्रस्त थे।
शायद बहुत लोग उनके नाम से परिचित नहीं हों, लेकिन कला के क्षेत्र के लोग, शिक्षा क्षेत्र एवं सार्वजनिक जीवन के पुराने लोग उनसे पूरी तरह परिचित थे। शारदा स्कूल औफ आर्ट के वे जाने माने विद्वान रहे हैं। शारदा स्कूल ऑफ आर्ट घराने ने कई कला शिक्षालयों की स्थापना की। नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट, ललित कला अकादमी आदि उसी संस्थान की देन रही है, के वे जाने माने विद्वान थे। वहां पढ़ाते भी रहे।
सेवानिवृत्ति के बाद वे निजी तौर पर लगातार सक्रिय रहे। समाज के कल्याण के लिए वे हमेशा सक्रिय रहे। शिक्षकों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। शिक्षकों के पेंशन के लिए न्यायालय में उन्होंने ही लड़ाई लड़ी। उनको मेडिकल सेवा की लड़ाई उनकी थी। पर एक वर्ष से कैंसर के कारण उनकी सक्रियता थोड़ी कम हो गई थी।
ऐसे लोगों के जाने से हमेशा एक बड़ी जगह खाली हो जाती है जिसको भरना आसान नहीं होता। लेकिन क्या करें। अपनी ओर से उनको विनम्र श्रद्धांजलि के अलावा और क्या कर सकते हैं।
अवधेश कुमार