इंटरनेट कंपनी गूगल की ‘गूगल रीडर’ सेवा सोमवार से बंद हो गई है। गूगल ने 13 मार्च को ही इसके बंद होने की घोषणा कर दी थी।
तब सर्च इंजन की दिग्गज कंपनी ने स्वीकार किया था कि अब भी इस फ़ीचर के काफ़ी प्रशंसक हैं जो इस ख़बर से दुखी होंगे। गूगल रीडर को साल 2005 में बनाया गया था। उसके बाद से ही ये एक लोकप्रिय आरएसएस रीडर बन गया था।
आरएसएस यानि ‘रियली सिंपल सिंडीकेशन’ इंटरनेट पर बहुत सारे स्रोतों से इकट्ठी की गई सामग्री को एक ‘फ़ीड’ में तब्दील करता है। गूगल रीडर इस क्षेत्र में काफ़ी लोकप्रिय रहा है।
बदलाव
किसी सेवा को बंद करना गूगल के लिए कोई बात नहीं है। कंपनी ने दिसबंर 2008 में गूगल लाइवली को बंद कर दिया था। ये थ्री-डी एनिमेटड चैट ऐप की सेवा थी जो सिर्फ़ छह महीने तक ही चल पाई।
काफ़ी जोश-ख़रोश से लांच की गई ‘गूगल वेव’ सेवा भी अगस्त 2010 में बंद कर दी गई थी। इस सेवा में ईमेल, सोशल नेटवर्किंग, इंटरनेट इनसाइकलोपीडिया और चैटिंग को एक प्लेटफ़ॉर्म पर उतारा गया था।
दिसंबर 2011 में गूगल ने जीमेल के साथ लांच की गई सेवा गूगल बज़ को बंद कर दिया था। इस सेवा में सोशल नेटवर्किंग और माइक्रोब्लॉगिंग का प्रावधान था।
इसके अलावा गूगल टॉक जैसे पसंदीदा सेवा को भी मई 2013 में गूगल हैंगआउट से रिप्लेस कर दिया गया था।
इसी श्रृंखला में गूगल रीडर पांचवी प्रमुख सेवा है जिसे गुगल ने बंद कर दिया है।
बंद होने का कारण
कंपनी ने ‘गूगल रीडर’ को बंद करने के दो कारण बताए थे।
अपने आधिकारिक ब्लॉग पर गूगल ने लिखा है, “गूगल रीडर का इस्तेमाल कम हुआ है। साथ ही हम कम उत्पादों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।”
गूगल ने इस सेवा का इस्तेमाल करने वालों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए मार्च में ही तीन महीने का वक़्त दे दिया था।
यानी मार्च में गूगल ने कह दिया था कि अगर आपने कोई लेख वगैरह गूगल रीडर पर रखा था तो आप उसे अगले तीन महीने तक सुरक्षित कर लें
कंपनी ने ‘गूगल टेकआउट’ के ज़रिए भी अपना डाटा सुरक्षित करने का विकल्प दिया था।
बंद होने वाली प्रमुख सेवाएं
दिसबंर 2008 ——- गूगल लाइवली
अगस्त 2010 ——- गूगल वेव
दिसबंर 2011 ——- गूगल बज़
मई 2013 ——- गूगल टॉक
जुलाई 2013 ——- गूगल रीडर