बिग स्टोरी: ज़ूम वीडियो कांफ्रेंसिंग : गृह मंत्रालय की सलाह के बाद भी कोरोना में राजनेताओं ऑर समाजसेवियों का प्रिय शगल,किसी बड़े डाटा चोरी या दुर्घटना का इंतजार

कोरोना ने पिछले 1 महीने से समाज में समाजसेवियों एनजीओ संचालकों राजनेताओं सभी को घरों में बैठने को मजबूर कर दिया है । लॉक डाउन के पहले चरण में लोगों ने राशन और खाना बांटने के बहाने बाहर निकलने की अपनी सभी जुगत लगाई हुई थी लेकिन लॉक डाउन के दूसरे चरण में सरकार ने राशन और खाना बांटने का काम कमेटी किचन और पुलिस के जरिए तय कर दिया

ऐसे में दिन-रात समाज सेवा करने वाले समाजसेवी और राजनेता जनता की सेवा सेवा किए बिना बेचैन नहीं बैठते तो क्या करते और यहीं से शुरू हुई खोज ऐसे माध्यम की जिससे लगातार जनता को यह दिखाया जा सके कि एपिडेमिक की स्थिति में कौन बड़ा महान समाजसेवी है और कौन बड़ा राजनेता

लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये राजनेता और समाजसेवी दोनों ही जनता की सिक्युरिटी क्यों दांव पर लगा रहे हैं, गृह मंत्रालय कई दिन पहले ही चेतावनी दे चुका है कि ज़ूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुरक्षित नहीं है इसके जरिए हैकर्स यूजर्स के मोबाइल्स और लैपटॉप में एंट्री कर सकते हैं उनका डाटा चोरी कर सकते हैं

पिछले दिनों ही चंडीगढ़ के एक स्कूल में बच्चों के साथ ऑनलाइन क्लास लेते हुए ऐसे ही एक हैकर ने अश्लील फिल्म चला दी थी 5 मिनट तक चली इस मूवी में बच्चे भी हैरान थे और टीचर भी

जूम वीडियो कॉलिंग एप के जरिए कोलकाता में दो लोगों का डाटा चुराने के बाद हैकरों ने इसे वापस करने के बदले में रंगदारी मांगी है। खास बात यह है कि हैकरों ने पीड़ितों को रंगदारी की रकम भारतीय रुपये में नहीं बल्कि वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन में चुकाने के लिए कहा है।

कोलकाता पुलिस के साइबर क्राइम विभाग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एक शिकायतकर्ता ने उसे फाइलों को डिक्रिप्ट (कूट भाषा खत्म करना) करने के लिए 1000 डॉलर के बिटकॉइन का भुगतान करने का आदेश दिया। अधिकारी के मुताबिक, साइबर क्राइम विभाग के अलावा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को भी इस मामले में जांच चालू करने को कहा गया है।

वही सिक्योरिटी को लेकर जूम कंपनी अभी तक कोई खास नहीं कर पाई है सिलिकॉन वैली के इस स्टार्टअप ने भी कहा कि वह कमियों का पता लगाने के लिए साइबर सुरक्षा कंपनी ‘लूटा सिक्योरिटी’ और उसके ‘‘बग बाउंटी” कार्यक्रम के साथ काम रही है जो उन शोधकर्ताओं को इनाम देती है जो उसके काम में सुरक्षा संबंधी कमियों का पता लगाते हैं. जूम ने हाल ही में आई उस खबर पर बात की जिसमें कहा गया कि अपराधी उपयोगकर्ताओं की ‘लॉग-इन’ सूचना ‘‘डार्क वेब” पर बेच रहे हैं

वरिष्ठ पत्रकार अतुल श्रीवास्तव इसे राजनेताओं ऑर समाजसेवियों का सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में लोगो की सुरक्षा से खेलना बताते है अतुल कहते है २ अप्रैल को ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) की ओर से बुलाई गई वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में अवांछित तत्वों ने सेंध लगा दी. इन घुसपैठियों ने होस्ट की ‘डिफॉल्ट ओपन एक्सेस’ सेटिंग्स के जरिए वर्चुअल प्रेस कॉन्फेंस में अनाधिकृत पहुंच बना ली और मेन पैनल का कंट्रोल संभाल लिया इसके चलते प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में ही रोकना पड़ा. घुसपैठिए प्रेजेंटेशन स्क्रीन पर निरर्थक हरकतों के साथ तेज संगीत और वीडियो चलाने लगे. ‘जूम – बॉम्बिंग’ का ये ट्रेंड उन संगठनों और निजी लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है, जिन्होंने इस टेक्नोलॉजी को नया-नया अपनाया है

वही समाजसेवी शैलेन्द्र बरनवाल इसे राजनेता एवं समाजसेवी लाइमलाइट में आने के लिए जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा अपने कार्यकर्ताओं एवं मित्रों के साथ बस मीटिंग करना बताते हैं वो कहते है कि जूम पूर्णतया सुरक्षित नहीं है इसमें आपके पर्सनल डाटा चोरी होने की संभावना बढ़ जाती है l कई ऐसे लोगों को भी जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हुए देखा जा रहा है जो किसी भी समाज सेवा में संलग्न नहीं है वह बस अपनी बोरियत और अकेलापन खत्म करने के लिए जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से महफिल सजा रहे हैं l, इसलिए ऑनलाइन से अनावश्यक समय एवं ऊर्जा को बर्बाद ना कर हकीकत में जनता को राहत पहुंचाने का कार्य किया जाना चाहिए जिससे की महामारी द्वारा उपजे संकट में उनका दुख कम हो सके

ऐसे में जनता को खुद ही राजनेताओं और समाजसेवियों द्वारा की जा रही ऐसी वीडियो मीटिंगो का हिस्सा बनने से बचना होगा नहीं तो किसी दिन वो किसी बड़े ट्रैप में फंस सकते हैं