भले ही चालू वित्त वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई, पर वह नए साल में बेहतर उम्मीद जगा रही है। विश्व बैंक को उम्मीद है कि 2013-14 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.0 फीसदी की दर से बढ़ेगी। यहीं नहीं आने वाले सालों में इसमें और तेजी आएगी।
विश्व बैंक के प्रेसिडेंट जिम योंग किम ने सोमवार को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष में 6.0 फीसदी की दर से बढ़ेगी। हमें आने वाले सालों में इसके और रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि हालांकि इस साल विकास दर उम्मीद के मुताबिक नहीं रह पाई है लेकिन जिस तरह वैश्विक परिस्थितियां सुधर रही हैं, उसे देखते हुए उम्मीद है कि विकास दर में तेजी आएगी। किम के साथ हुई बैठक में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि भारत विश्व बैंक से सबसे अधिक कर्ज लेने वाला देश है। भारत अभी तक 90.5 अरब डॉलर विश्व बैंक से कर्ज ले चुका है। इसमें से वर्तमान में 23.3 अरब डॉलर की 77 परियोजनाएं भारत में चल रही हैं।
वित्त मंत्री ने इसके अलावा इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व बैंक का पूंजी आधार बढ़ाने की जरूरत है। जिससे दुनिया में गरीबी घटाने और विकासशील देशों में आधारभूत संरचनाएं विकसित करने में मदद मिल सके।
विश्व बैंक के प्रेसिडेंट तीन दिवसीय भारत की यात्रा में मंगलवार को उत्तर प्रदेश की यात्रा करेंगे। जहां वह प्रदेश की विकास संबंधी कार्यक्रमों का जायजा लेंगे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से चर्चा भी करेंगे। उनका इस दौरान कानपुर जाने का भी कार्यक्रम है।
विकास दर 8% पहुंचेगी: मोंटेक
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पिछले रिकार्ड को देखते हुए अगले चार से पांच साल के दौरान इसके 7-8 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
अहलूवालिया ने यहां एक चर्चा के दौरान कहा कि 7-8 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाना उचित होगा और मैं इसे पासिंग ग्रेड कहूंगा। उन्होंने भरोसा जताया कि अगले चार से पांच साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर यही होगी।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5 फीसदी रहेगी, जो दशक का न्यूनतम स्तर होगा। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि 12वीं योजना (2012-17) में सालाना औसत आर्थिक वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहेगी, जबकि योजना दस्तावेज में इसका 8 फीसदी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
हालांकि, अर्थशास्त्रियों के एक वर्ग ने घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में धीमे सुधार पर चिंता जताई है, जिसके चलते चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की आशंका है। अहलूवालिया ने कहा कि यदि आप 10 साल की अवधि का आकलन करते हैं, तो औसत वृद्धि 7.5 फीसदी होगी।
यदि आप सांख्यिकीय तरीके का उपयोग करते हैं, तब भी यह 7.4 फीसदी रहती है। इस तरह, पुराने आकलन के तरीके से भी पिछले 10 साल के दौरान इसका संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.4 फीसदी वृद्धि क्षमता दिखाई।