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‘ब्रेक अप’ की ओर सपा-कांग्रेस का ‘लिव इन रिलेशन’?

लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही सपा व कांग्रेस के बीच तनातनी टकराव में बदलती जा रही है।
यह साफ हो गया है कि सपा और कांग्रेस का लिव-इन रिलेशनशिप खत्म हो गया है और अब आरोपों की पारी खेली जानी है।
दिवाली पर सपा ने केंद्र सरकार पर कड़ा हमला किया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने प्रदेश के विकास का 30 हजार करोड़ रुपये की सहायता रोक रखी है।
प्रदेश के विकास के लिए केंद्र से मिलने वाले धन का अब तक सिर्फ 20 फीसदी ही मिला है।
सपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और उसमें प्रदेश से मंत्री यूपी के विकास में कोई सहयोग नहीं दे रहे हैं।
यही नहीं, इनकी कोशिश रहती है कि प्रदेश को जो केंद्रीय सहायता अधिकारपूर्वक मिलनी चाहिए वह भी न मिले। यह लोग प्रदेश की सपा सरकार को बदनाम करना चाहते हैं।
केंद्र की यूपीए सरकार को समर्थन दे रही सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी की ओर से रविवार को जारी बयान में कहा गया है कि केंद्र असहयोग पर उतारू है।�विकास के लिए मांगे जा रहे धन को देने में आनाकानी होती है। दिया भी जाता है तो इतनी देरी से कि काम रफ्तार ही नहीं पकड़ पाता।
सूबे के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र से विशेष पैकेज की मांग की थी। उस पर भी केंद्र हीलाहवाली ही करता रहा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के केंद्र पर यूपी को सहयोग न करने का आरोप को बिल्कुल सही बताया है। केंद्र सरकार उन लोगों के पक्ष में खड़ी है जो यूपी का विकास नहीं चाहते। वह मुख्यमंत्री की नीतियों से घबराने लगी है।
बसपा की लूट पर बंद कर ली थीं आंखें
सपा प्रवक्ता ने कहा कि बसपा राज में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हजारों करोड़ रुपयों की लूट हुई। तब केंद्र आंख बंद किए बैठा रहा। न कोई पूछताछ की और न कोई कार्रवाई की। ऊपर से बसपा सरकार को पैसे बांटता रहा। अब सपा सरकार से इसका हिसाब-किताब मांगा जा रहा है।
इस बहाने प्रदेश के विकास कार्यों के लिए केंद्र से मिलने वाली मदद रोकी जा रही है।�
 
जानबूझकर अड़ंगा लगा रही कांग्रेस
सपा का केंद्र पर हमला यहीं नहीं रुका। उसने आरोप लगाया कि प्रदेश की योजनाओं में केंद्र सरकार जानबूझकर अड़ंगा डाल रही है। 108 एंबुलेंस सेवा से लाखों गरीबों, प्रसूताओं और दुर्घटना के शिकार लोगों को मदद मिल रही है। पर, केंद्र सरकार ने इसकी मदद रोकने का फैसला कर लिया है।
यह महज इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि इस सेवा के साथ ‘समाजवादी’ नाम जुड़ा है।�
 
रिश्तों में दरार�
राजनीतिक विश्लेषक इसे सपा और कांग्रेस के रिश्तों में दरार के रूप में देख रहे हैं। इनका कहना है कि ताज्जुब नहीं कि जल्द ही दोनों का औपचारिक रूप से संबंध विच्छेद हो जाए। इनका तर्क है कि लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ दोनों के लिए एक-दूसरे के साथ रहना मुश्किल होता जा रहा है।
कांग्रेस को यूपी से वोट चाहिए तो उसे प्रदेश सरकार पर हमला बोलना ही होगा। सपा के सामने भी ऐसी ही मजबूरी है। राहुल बनाम अखिलेश से शुरू हुई तनातनी उसी जंग की शुरुआत है। दोनों चाहते हैं कि संबंध विच्छेद की पहल उनकी तरफ से न हो, जिससे चुनाव के दौरान दूसरे पर हमला बोलने में आसानी रहे।

NCR Khabar News Desk

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