नेहरू मॉडल के कारण भारत शुरुआती दशकों में 1 % की भी विकास दर पाने में विफल रहा: जेटली
भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुंबई में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर एक चर्चा के दौरान कहा कि भारत नेहरू मॉडल के कारण आजादी के शुरुआती दशकों में 1 प्रतिशत की विकास दर पाने में विफल रहा। जेटली ने कहा, “नेहरू मॉडल ने विकास में मदद नहीं की। देश की 1 प्रतिशत से कम आबादी के पास फोन था। दूसरे देश विकास रहे थे, लेकिन भारत नहीं कर रहा था, हम उसी मॉडल पर चल रहे थे और आज भी कुछ लोग उसकी तारीफ करते हैं।”
जेटली ने कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव पर भी निशाना साधते हुए कहा राव लोगों की मान्यता के उलट देश में आर्थिक सुधार के मसीहा नहीं थे। जेटली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस गठबंधन सरकार ने उत्पादन सेक्टर की अनदेखी की। भारतीय वित्त मंत्री के अनुसार कांग्रेस ने आर्थिक दबावों के चलते सुधार लागू किए थे। अंग्रेजी चैनल टाइम्स नाओ के अनुसार जेटली ने कार्यक्रम में राव पर टिप्पणी करते हुए कहा, “1991 में हुए आर्थिक सुधार दिवालिया होने की वजह से किए गए थे…..वरना वो कंजरवेटिव थे।”
जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की तारीफ करते हुए कहा कि ये केवल जुमला नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार जेटली ने कार्यक्रम में कहा, “उत्पादन क्षेत्र में भारी रोजगार की संभावनाएं हैं, इसलिए मेक इन इंडिया केवल जुमला नहीं है।” भारत के सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों पर टिप्पणी करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार इन बैंकों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। जेटली ने कहा, “भविष्य की राह केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर तय करनी है, उसके बाद इसे लागू किया जाएगा।”
हाल ही में सार्वजनिक बैंकों के नॉन पर्फार्मिंग एसेट (एनपीए) पर काफी विवाद हुआ था। शराब कारोबारी विजय माल्या पर विभिन्न सरकारी बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपये बकाया था। बैंक माल्या के खिलाफ अदालत गए। माल्या इस समय भारत से फरार हैं। वो लंदन में रह रहे हैं। उस समय माल्या राज्य सभा सांसद थे। देश छोड़ने से एक दिन पहले वो राज्य सभा की कार्रवाई में शामिल हुए थे, जिससे सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। देश से जाने के बाद माल्या की राज्य सभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।