पहले बांग्लादेश गया हाँथ से अब बलूचिस्तान की बारी है। – मालिनी अवस्थी
भारत पाकिस्तान विभाजन एक ऐतिहासिक भूल थी।
विश्व इतिहास में यह सबसे बड़ा विस्थापन था जब लाखों लोग भारत से पाकिस्तान और वहां से यहाँ आये। लाखों लोगों की जाने गई। न जाने कितनी स्त्रियों की इज़्ज़त तार तार हुई, और लाखों की छतें उजाड़ गईं। क्रूरता और पाशविकता का ऐसा नाच सबकी रज़ामंदी में हुआ, यह सोच आज भी मन तड़प जाता है। कुछ लोगों ने तय कर लिया और देश बंट गया। मज़हब के आधार पर पृथक देश मांगनेवालों की ज़िद आज भी भोग रहा है भारत।
धन्य हैं हमारे भारत के वे पूर्वज जिन्होंने विकल्प मिलने पर भी पाकिस्तान जाने से इंकार किया और भारत को अपनी मिटटी अपना वतन माना।
पाकिस्तान इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि राष्ट्र की अवधारणा सिर्फ मज़हब या धर्म के आधार पर नहीं बनती। राष्ट्र बनता है सभ्यता से, संस्कृति से, कला साहित्य से, शिक्षा से और नव एवं पुर्ननिर्माण से।
पहले बांग्लादेश गया हाँथ से अब बलूचिस्तान की बारी है।
मेरा अटल विश्वास है कि वह दिन दूर नहीं, जब पाकिस्तान का अस्तित्व पुनः भारत में ही विलीन होगा। हम नहीं, तो हमारे बच्चों के जीवनकाल में ही। शायद!
-मालिनी अवस्थी