प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान कहीं और सकारात्मक तरीके से लागू हो रहा हो या न हो, लेकिन भारतीय रेल में इसके सुखद परिणाम जरूर देखने को मिले हैं।
खास तौर पर ट्रेनों की साफ-सफाई को लेकर रेल मंत्रालय हमेशा मुसाफिरों के निशाने पर रहा है, लेकिन रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में सफाई अभियान शुरू किए जाने के बाद रेलवे को गंदगी को लेकर मिलने वाली शिकायतों में 20 फीसदी की कमी आई है।
रेलवे इन परिणामों से बेहद उत्साहित है। यही कारण है कि रेल मंत्रालय अपनी ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग स्कीम (ओबीएचएस) का विस्तार करने जा रहा है।
अब तक देश भर में चलने वाली 12 हजार छह सौ 25 ट्रेनों में से साढ़े चार सौ में इस स्कीम को सिरे चढ़ाया गया है, लेकिन अब इसे 160 और ट्रेनों में लागू करने की तैयारी मंत्रालय ने कर ली है।अभी तक ओबीएचएस स्कीम सभी राजधानी, शताब्दी, दूरंतो ट्रेनों के अलावा 16 घंटे से कम समय लेने वाली चुनींदा मेल, एक्सप्रेस या फिर पांच से नौ घंटे का समय लेने वाली कुछ ट्रेनों में लागू है।
इस स्कीम के तहत सफाई कर्मी दल ट्रेन में चलने वाले स्थान से चढ़ता है और खत्म होने वाले स्थान पर उतरता है। इस स्कीम पर तकरीबन 55 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है।
इस स्कीम का मूल्यांकन मुसाफिरों की ओर से दिए जाने वाले फीडबैक से किया जाता है। यही नहीं ट्रेनों में यह स्कीम सही ढंग से लागू हो रही है। इसके लिए मंत्रालय ने चेकिंग की भी व्यवस्था कर रखी है।चेकिंग की प्रक्रिया के चलते ही स्कीम के अधीन आने वाले कर्मियों ने भी अपने काम को सफलता पूर्वक अंजाम दिया है। साथ ही रेलवे सुपरवाइजर का नंबर भी ट्रेनों में दिया जा रहा है। जिस पर यात्री किसी भी समय सफाई को लेकर अपनी व्यथा को बयां कर सकता है।
यही नहीं रेलवे जल्द ही टेरोटोरियल बेस्ड ओबीएचएस स्कीम ट्रेनों में लागू करने जा रहा है। इस स्कीम के तहत सफाई कर्मी कम दूरी के लिए ट्रेन में चढ़ेगा और बीच में उतर जाएगा।
इसके बाद उस स्थान से दूसरा स्टाफ चढ़ेगा और सफाई के काम को अंजाम देगा। इस स्कीम के लागू होने से रेलवे का खर्च कम होगा साथ ही सफाई के काम में ऊर्जा भी बढ़ेगी।