पटना। जीतन राम मांझी के इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने जदयू के विधायक दल के नेता नीतीश कुमार को राजभवन बुलाया। नीतीश कुमार राजभवन पहुंच चुके हैं। उनके साथ जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और अशोक चौधरी भी हैं। अब राजभवन के फैसले पर निगाहें टिकी हैं। बताया जाता है कि राज्यपाल नीतीश कुमार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। नीतीश के साथ जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, अशोक चौधरी, रामचंद्र पूर्वे, सदानंद सहित कई अन्य लोग भी राजभवन पहुंचे हैं।
पूर्व मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जितनी जल्द सरकार बने, वह राज्य के हित के लिए अच्छा होगा। नीतीश जी के पास पूर्ण बहुमत है। उन्हें 130 विधायकों का समर्थन हासिल है। इसलिए बिना समय गंवाए राज्यपाल महोदय को सरकार गठन के लिए नीतीश जी को आमंत्रित करना चाहिए। नरेन्द्र नारायण यादव ने जीतन राम मांझी के इस्तीफे से जुड़े सवाल पर कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। अल्पमत सरकार का नेतृत्व करने वाले मांझी ने लोकतंत्र का गला घोंटने वाली भाजपा का समर्थन लेना मुनासिब नहीं समझा। इसलिए मांझी जी ने सदन में बहुमत साबित करने से पहले मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि पूरे खेल के पीछे भाजपा काम कर रही थी और उसने मांझी को समर्थन देकर अपने मंसूबे को सही साबित भी कर दिया। मगर मांझी के इस्तीफे से भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा जनता के सामने बेनकाब हो गया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का जवाब जनता को देना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद विधानसभा में अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई। राज्यपाल को अभिभाषण देना था, लेकिन उन्होंने पत्र भेजकर विधानसभा अध्यक्ष को सूचित किया कि बदली परिस्थितियों में वे नहीं आ पा रहे। सदन में जदयू के नेता विजय चौधरी कुछ कहना चाहते थे, लेकिन भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद विधानसभा के सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। नई सरकार बनने की स्थिति में विधानसभा का सत्र नए सिरे से बुलाया जाएगा।
बीते साल लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उनकी सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन कुछ दिनों पहले जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए मांझी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद से ही राज्य में सरकार बनाने और बचाने की लड़ाई सड़क से लेकर अदालत तक चल रही थी।
दलगत स्थिति
जदयू- 111
राजद- 24
कांग्रेस -5
भाकपा -1
निर्दलीय – 5
भाजपा – 87
कुल– 233(दस रिक्त हैं)
नीतीश के दावे
जदयू– 99
राजद– 24
कांग्रेस–5
भाकपा–1
निर्दलीय- 1
कुल—130(विधानसभा अध्यक्ष को मिलाकर 131)