राजेश बैरागी lग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 61 दिनों का दिन रात धरना देकर सांसद सुरेंद्र नागर की मध्यस्थता में चोट खाए किसानों ने आगामी 18 जुलाई से फिर से आंदोलन करने की घोषणा की है। इस बार किसानों ने अपना साथ देने वाले राजनीतिक दलों को उनके आंदोलन का राजनीतिक लाभ उठाने की भी खुली छूट दे दी है
प्राधिकरण पर बीती 24 जून तक धरना देने वाली अखिल भारतीय किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रूपेश वर्मा ने एक प्रेस वार्ता में आगामी 18 जुलाई से पुनः आंदोलन चलाने का एलान किया। हालांकि उन्होंने आंदोलन के स्वरूप को लेकर कोई घोषणा नहीं की। उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल से चले धरने को सांसद सुरेंद्र नागर की मध्यस्थता में उनके इस आश्वासन के बाद उठाया गया था कि किसानों की सभी मांगों को पूरा कराया जाएगा। इसके लिए उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति बनाई जानी थी। परंतु शासन द्वारा समिति बनाए जाने से इंकार करने से क्षेत्र के किसान स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को सरकार, प्राधिकरण और सांसद किसी पर भी कोई विश्वास नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि किसानों और भूमिहीन लोगों से संबंधित किसी भी मांग पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हम तुम्हारे लिए,तुम हमारे लिए
आगामी आंदोलन को समर्थन देने के लिए प्रेस वार्ता में उपस्थित सपा जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी, कांग्रेस नेता दीपक चोटीवाला, रालोद जिलाध्यक्ष जनार्दन भाटी, भाकियू (अंबावता) जिलाध्यक्ष ब्रजेश भाटी, विकास किसान यूनियन(अजगर) जिलाध्यक्ष हरवीर नागर व सीटू जिला उपाध्यक्ष ने पूरा सहयोग देने की घोषणा की। इस अवसर पर रूपेश वर्मा ने एक विशेष घोषणा की। उन्होंने कहा कि जो भी राजनीतिक दल उनके आंदोलन को समर्थन देगा, उसे आगामी लोकसभा चुनाव में किसान आंदोलन का लाभ उठाने की खुली छूट रहेगी। उन्होंने कहा,हम इनका लाभ उठाएंगे और ये हमारा।
धारा 144 का दुरुपयोग
रूपेश वर्मा ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण आंदोलन के बावजूद कमिश्नरेट पुलिस ने धारा 144 (जो निरंतर लगी रहती है)के बहाने से हजारों किसानों के विरुद्ध फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि धारा 144 नागरिकों के बोलने के अधिकार को समाप्त करने के लिए लगाई जा रही है।
यह था मामला
उल्लेखनीय है कि 61 दिनों से दिन रात धरना दे रहे किसानों को सांसद सुरेंद्र नागर ने भरोसे में लेकर गत 24 जून को धरना समाप्त करा दिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अगले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनपद में विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करना था। उसके बाद प्राधिकरण और सांसद अपने लिखित आश्वासन से मुकर गए जब शासन ने एक पत्र भेजकर कहा कि कोई हाईपॉवर कमेटी नहीं बनाई जाएगी। इस आंदोलन में स्थानीय भाजपा नेताओं की आपसी जंग में क्षेत्रीय विधायक तेजपाल नागर समझौते के निकट पहुंचकर विफल हो गये थे जबकि सांसद सुरेंद्र नागर समझौता कराने के बाद विश्वासघात करने के लिए किसानों के निशाने पर हैं। इस मामले में खास बात यह भी है कि भाजपा के स्थानीय विधायक या सांसद प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु माहेश्वरी को किसानों की मांगों को लेकर झुकाने में नाकाम रहे।