जन्मदिन विशेष : बेहतरीन वक्ता, सादगी की प्रतिमूर्ति, लोकप्रियता के मानकों से ऊपर, महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज (मा.मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश) को जन्मदिन की अनंत बधाई एवं शुभकामनाये – शरद सिंह

शरद सिंह । एक प्रचलित शाश्वत सिद्धांत है,एक नियम है। खींची लकीर छोटी करने का एक ही तरीका है उससे बड़ी लकीर खींचना। दूसरों को छोटा बनाने वाले सत्ता, धन और ताकत के बल पर बड़े बन भी जाएं तो वे धनपति और शक्तिपति ही बने रहते हैं, सचमुच बड़े नहीं बन पाते।

दरअसल आदमी बड़ा नहीं होता उसे बड़ा बनना पड़ता है। कोई दूसरा साथ तो आ सकता है पर बड़ा तो खुद ही बनना पड़ता है और वह तो कभी बड़ा बन ही नहीं सकता, जो दूसरों को छोटा बनाता हो। हाँ, छोटों को बड़ा बनाने वाला जरूर खुद ही बड़ा बन जाता है, उसे बनना नहीं पड़ता। इतिहास ऐसे बड़ों से भरा पड़ा है जिन्हें यह जमाना युगों तक याद करता रहेगा। सूर्य को यह बताने की जरूरत नहीं कि वह बड़े हैं क्यों कि छोटे ग्रहों को उन्होंने कभी छोटा नहीं बताया, बल्कि अपने प्रकाश से चमकाया, कीर्तिमान बनाया।

बड़ा बनना है तो दिल जीतना पड़ता है। बड़े बना रहना उनके अपने हाथ में था और वे अपने परिश्रम, सेवा और निष्ठा से बड़े बने। सब जानते हैं कि सियासत की बुलंदी दूसरे को मिटाकर अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए होता है लेकिन योगी जी ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया जो उन्हें आंखे झुकाने करने को मजबूर करे।

योगी जी स्वयं सिद्ध जीवन मे संत है तो राजनीति में भी एक संत की तरह ही सिद्धहस्त हो रहे हैं। सियासत की सभी बड़ी कमजोरियों से उनका भी वास्ता पड़ता होगा लेकिन उनके प्रबल विरोधी भी उनपर भ्रस्टाचार का आरोप न लगा पाए। कार्य करने भी क्षमता तो असाधारण है ही ऊपर से एक सधे प्रशासक की तरह उनका अपनी जनता को योगदान अनुकरणीय है।

मुख्यमंत्री होने के नाते बहुत से निर्णयों की संवैधानिक मजबूरियां रहीं होंगी जिससे कुछ कार्य सिद्ध न हुए होंगे लेकिन योगी जी के जिम्में अभी बहुत बड़े बड़े काम हैं। वैश्विक महामारी का यह समय बिना थके, बिना उलझे उन्होंने आगे बढ़ने का रास्ता ही चुना व बिना भेदभाव जनसेवा को मूलमंत्र व सिद्धांत बना बिना किसी प्रतिद्वंद्विता के अपना दायित्व निर्वहन करते रहते है। बाकी इतने बृहद प्रदेश असीमित जनसंख्या की स्वजनित समस्याएं हैं जिनपर नियंत्रण बलात न हो सकता।

योगी जी ने हिंदुओ की वैचारिक शक्ति को बहुत बड़े पैमाने पर बदला है। हिन्दू अब खुद ही राष्ट्रवाद और धर्म के प्रति आदर भाव बढ़ा इसमें खुद को खपा रहे हैं। इन सभी के प्रेरणा स्रोत योगी जी का हिंदुत्व दर्शन ही तो है। सार्वजनिक जीवन मे योगी जी का धर्म दर्शन व ओजस्वी वाणी ही उनके प्रति साधारण जन के विश्वास ही पूंजी है। देश उनकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है।

गुरु गोरखनाथ जी के प्रतिनिधि के रूप में सम्मानित संत को महंत की उपाधि से विभूषित किया जाता है। नाथ योग सिद्धपीठ गोरखनाथ मंदिर के योग तपोमय पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गुरु गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरुप 15 फरवरी 1994 को गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज द्वारा मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारपूर्वक शिष्य योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक संपन्न हुआ।

योगी जी व्यवहारकुशलता, दृढ़ता, कर्मठता, वाक्पटुता के आदर्श मार्गों का अनुसरण करते हुए हिंदुत्व के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। योगी जी के युवा नेतृत्व में थोड़े ही समय में पूरे भारत वर्ष में हिंदुत्व का तेजोमय पुनर्जागरण अवश्यम्भावी है।

बेहतरीन वक्ता, सादगी की प्रतिमूर्ति, लोकप्रियता के मानकों से ऊपर, विश्व के सर्वाधिक अनुयायियों वाले राजनेता, सुशासन, समर्पण, साधना, सेवा एवं आदर्श संन्यास परंपरा के संवाहक गोरक्षपीठाधीश्वर हिन्दू ह्रदय सम्राट परम पूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज (मा.मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश) को जन्मदिन की अनंत बधाई एवं शुभकामनाएँ…चरण वंदना

लेखक शरद सिंह सोशल मीडिया पर अपने विचार रखते है । एनसीआर खबर का लेख में दी गई बातो से सहमत होना आवश्यक नहीं है