आप संघ के भरोसे क्यूँ हो ?
आपने क्या संघ को ठेका दिया था .अपनी या अपनी बहिन बेटी की रक्षा का ? आप क्या संघ को कोई बड़ी धनराशी देते है ,या अपने जवान पुत्रों को संघ का प्रचारक बनाया है ? नहीं ?
संघ को न सरकार को सहायता देती है ,और न संघ के पास कोई धन सम्पति ,आश्रम ,मंदिर आदि की कमाई के साधन है.संघ छोटे व्यापारी ,श्रमिक ,साधारण हिन्दू लोगों द्वारा अपने परिश्रम पर चलने वाला संघठन है.वर्ष भर चवन्नी ,अठन्नी जमा करके गुरुदक्षिण करने वालों का संघठन है.इस लिए संघ से अधिक अपेक्षा न रखें.और अपनी अपने समाज ,अपने मंदिरों ,बहिन बेटी ,की रक्षा के लिए आप सभी को आगे आकार कोई संघठन बनाना चाहिए ,और सभी स्थानों पर तलवार लेकर आपकी और आपके परिवार ,समाज धर्म की रक्षा कर सकें.
आप चाहते है कि आप का पुत्र बड़ा अधिकारी बने बड़ा व्यापारी बने किन्तु आपकी रक्षा संघ वाले करें ? आप चाहते है कि आप बड़े बड़े आलीशान लग्जरी महलों में रहें ,मठ को 5 सितारा होटल जैसा बनायें आप साधारण जनता से दूर रह कर केवल भोग विलाश में डूबे रहे और संघ वाले आपकी रक्षा करें ?
आप प्रतिदिन 56 भोग का भोग लगायें ,और संघ वाले चना चबेना खाकर आपकी रक्षा में खड़े रहें ? नहीं मान्यवर.आप को सच में ही धर्म ,समाज और राष्ट्र की चिता है ? आपको हिन्दू समाज के बहिन बेटी की चिंता है ? तो आपको संघ या अन्य किसी संघठन या संस्था को कोसने के स्थान पर अपना संघठन खड़ा करना होगा आपको अपना समय ,धन ,और अन्य संशाधन अपनी रक्षा के लिए देने होंगे.अपने पुत्रों को बलिदान के लिए तैयार करना होगा नहीं तो आप गरियाते रह जायेंगे और जिहादी एक एक करके आप सभी का भक्षण कर जायेंगे.एक बात सदेव याद रखें अपनी अपने समाज परिवार और राष्ट्र की रक्षा किसी ठेकेदार से नहीं करवा सकते उसके लिए आपको ही बलिदान देने होंगे .और लगातार देते रहना होगा.जो समाज बलिदान देने की लिए तैयार नहीं होते उन्हें लुप्त होने से कोई नहीं रोक सकता.
वाया गौरव सिन्हा
लेखक स्वतंत्र विचारक है, लेख में दिए विचारो से एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नहीं है