ग्रेटर नॉएडा में पालतू कुत्ते को पीटे जाने के वीडियो के बाद ग्रेटर नॉएडा अथारटी पर उठे सवाल, शहर में कुत्ते प्रेमियों के लिए कुत्ते पालने का नहीं है कोई पंजीकरण, कोई नियम

ग्रेटर नॉएडा वेस्ट में पालतू कुत्ते को पीटने का वीडियो वायरल होने पर बिसरख पुलिस ने उसको रेस्क्यू किए जाने की खबर है लेकिन उसके बाद इन तीन कुत्तों को कहां दिया गया इसकी कोई जानकारी नहीं है आपको बता दें कि विदेशी नस्ल के इन कुत्तों की कीमत 10 से 30000 रुपए प्रति कुत्ता हो सकती है । इस घटना ने शहर में कुत्ते प्रेमियों द्वारा कुत्तों के प्रति व्यवहार को भी उजागर कर दिया

इसके साथ ही ग्रेटर नोएडा वेस्ट जैसे उभरते हुए शहर में कुत्तों को पालने से लेकर रखने तक किसी भी तरीके का कोई सरकारी नियम ना होने की बात भी सामने आ रही है बताया जा रहा है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पास कुत्तों को पालने और उनके रखरखाव को लेकर कोई नियम नहीं है ऐसे में कोई भी कहीं से कुत्ता खरीद लाता है और उसके साथ मनमाना व्यवहार करने लगता है

इसी सब को लेकर कुत्तों के नाम पर चलने वाले कुछ संस्थाएं भी लोगों पर अलग-अलग तरीके से पशु अधिनियम पालन ना करने पर तरह तरह के दबाव बनाती रहती हैं क्योंकि आमतौर पर लोगों को इन नियमों की कोई जानकारी नहीं होती है

शहर में बीते दिनों ऐसे ही कुत्ते प्रेमियों और सामान्य लोगों के बीच झगड़ों की भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं उभरता हुआ शहर होने के कारण और कुत्तों के लिए कोई नियम ना होने के कारण अक्सर इन हाई राइज सोसायटिओं में निवासियों के बीच तू-तू मैं-मैं से लेकर बात पुलिस केस तक पहुंच जाती है क्योंकि कुत्ता प्रेमी अपने कुत्तों को सोसायटी के पार्क में घूमाने लाते हैं और वही सुसु पॉटी भी करा देते हैं जिससे पार्क में खेलने वाले छोटे बच्चे उनके संपर्क में आकर कई बार बीमार भी जाते हैं

शहर की एक निवासी अजिता ( बदला हुआ नाम) ने बताया कि बीते साल ऐसे ही कुछ कुत्तों ने उनके ससुर पर हमला कर दिया था और जब उनके पति उन कुत्तों को भगाने के लिए डंडा लेकर दौड़े तो कुछ संस्थाओं ने उसका वीडियो बनाकर पुलिस में कंप्लेंट की धमकी दी जिसके बाद पिताजी का इलाज कराने की जगह पहले उन संस्थाओं को संतुष्ट किया गया उसके बाद पिता को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे

शहर की एक समाजसेवी संस्था से जुड़ी महिला ने बताया किस शहर में पालतू कुत्तों को लेकर चल रही संस्थाओं अगर आप किसी कुत्ते के लिए एंबुलेंस मागा जाए,तो वो उसके लिए जिसका नंबर दे देते हैं वह कुत्ते को ले जाने के लिए हजार रुपए मांग लेता है उससे बेहतर ओला या उबर जैसी निजी गाड़ियां साबित होती है वही कुत्तो के क्रैच भी शुरू हो चुके है जहाँ दूसरी सोसैटियो से लोग आकर अपने कुत्ते यहां छोड़ जाते है, ऐसे में यह भी एक नया बिजनेस शुरू हो गया है लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी इन हाई राइज आवासीय फ्लैट्स में व्यवसायिक एक्टिविटी पर कुछ नहीं बोलती है और ऐसे डोग क्रैच के आसपास रहने वाले लोगों को बड़ी परेशानी होती है

समाजसेवियों का कहना है की नोएडा ऑर ग्रेटर नोएडा जैसे शो विंडो कहे जाने वाले शहर में अथॉरिटी द्वारा अब तक कुत्ते पालने को लेकर कोई नियम और पंजीकरण ना बना पाना प्रशासन की सोच पर सवाल खड़े करता है