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दिल्ली में #यूरोपियन देशों के #मॉडल को लागू करने से पहले क्या बाकी की बातों और #पॉलिसी को लागू करना जरूरी नहीं है -श्वेता रश्मि

#यूरोपियन देशों के #मॉडल को लागू करने से पहले क्या बाकी की बातों और #पॉलिसी को लागू करना जरूरी नहीं है, उन देशों में #जुडिशरी में महिलाओं की भागीदारी, #पॉलिटिक्स#शिक्षा , #चिकित्सा और #व्यापार में उनको बराबरी का हिस्सा है इन सबसे ऊपर किसी भी उम्र की महिलाओं को कानून पूरी सुरक्षा देता है। क्या ये जरूरी नहीं है अपनाने के लिए, मातृत्व पर महिला #सांसद सदन में स्तनपान करवा सकती है ! यहाँ भारत में ऐसा सोचना भी गुनाह है #पोनोग्राफी देखना मना नहीं।

जुडिशरी में तो कैसे प्रमोशन होते है वो कुछ एक साल पहले के वायरल वीडियो में हम देख चुके है। यही हाल शिक्षा और व्यापार का है। अब आते है मुद्दे के सवाल पर ठीक 8 महीने पहले इस तरह की नौटंकी करके आम आदमी पार्टी क्या साबित करना चाहती है जाहिर है वोट बैंक में सेंधमारी। अभी अभी आजतक पर एक रिपोर्ट देख रही थी #डीटीडीसी बस में रिपोर्टर पूछ रही है एक महिला से युवती से क्या आप इस फैसले से खुश है ( युवती ने जबाव दिया इससे कौन सा बड़ा बदलाव हो जाएगा बस का भाड़ा है ही कितना 5 ,10,15, रुपये। इससे जरूरी है महिला हिंसा रेप जैसी घटनाओं पर रोक लगाना उसके लिए सरकार क्या कर रही है) बिलकुल यही मेरा भी सोचना है अब दूसरी महिला का जबाव सुनिये इससे बहूत बचत होगी ये तो बड़ा ऐतिहासिक फैसला है, ये वही महिलाएं है जिनके घरों में बचे खाने को तो छोड़िए गली के कुत्तों तक को खाने देने में हायतौबा होती है।

एक सहेली ने बड़े जहीन शब्दो मे विरोध जता दिया गरीबों को इससे फायदा होगा। मेरा सवाल ऐसी कितनी महिला रोज मेट्रो में यात्रा करती है ??? गिनती की , एक छात्रा कहती है पैसे बचेंगे शायद उस बच्ची को नहीं मालूम कि विश्विद्यालय और कॉलेज से सुविधा होती है कम पैसों में मासिक पास बनवाने की। मेट्रो में बुजुर्ग व्यक्ति को बैठने के लिए भी सीट ना देने वाली इस जेनरेशन और लिपस्टिक पाउडर की फौज को सब मिलता रहे बढ़िया है । ये योजना गरीब और जरूरतमंद लोगों को मिले उसका कोई विरोध नहीं कर रहा पर रोज सवेरे टिफिन लेकर ब्रांडेड कंपनी के झोले में ट्रेवल करने वालो को इससे क्या फायदा है ये मुझे केजरीवाल समझा दे।जब अभी मेट्रो का किराया बढ़ाया गया था तब इसी सरकार ने अपने नुकसान होने की बात करके पल्ला छाड़ लिया था

#दिल्ली में #रोज़गार के साधन घट रहे है, #प्रदूषण#साफ #सफाई, पानी और अन्य जरूरतों पर ध्यान नहीं है , बुजुर्ग अच्छी सड़को के अभाव में हाँथ पैर तुड़वा रहे है, #पब्लिक#ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा की कमी और लंबे रूट का कोई रोड मैप नही है। दूसरे जगहों से आकर मजदूरी कर रहे लोगो को समुचित रहने की व्यवस्था और सुविधाओं का अभाव है पर उससे क्या लेना देना है पिछले चुनाव में #ऑटो वालो का इस्तेमाल किया इस बार महिलाएं है। इन्हें राजनीति से ज्यादा कुछ नही करना।

लेख में दिए विचारों से एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नहीं है 

एन सी आर खबर ब्यूरो

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