अविश्वास प्रस्ताव गिरा: महागठबंधन में मोदी ने लगा दी सेंध, बोले मैं चार साल के काम के बल पर खड़ा हूं, अड़ा भी हूं
क्या मोदी ने 2019 के महाभारत के पहले विपक्षी एकता में ही सेंध लगा दी है? शुक्रवार को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 126 वोट पड़े जबकि उसके खिलाफ 325 वोट पड़े। एनडीए के खिलाफ यूपीए के इतर विपक्षी एकता की कोशिशों के लिए भी इसे एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है। वैसे तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के समर्थन से टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव का गिरना पहले से तय था। हालांकि एंटी बीजेपी वोटों की संख्या के हिसाब से विपक्ष को कुछ ज्यादा वोटों के मिलने का अनुमान था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अविश्वास प्रस्ताव तो गिरा ही, विपक्ष के खाते में भी 126 वोट ही आए। ऐसे में एक सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या विपक्ष को जितनी उम्मीद थी, उतने वोट नहीं मिले। आएइ इसे आंकड़ों की कसौटी पर परखते हैं। टीडीपी (15) के अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस (48), टीएमसी (34), सीपीएम (9), आरजेडी (4) और आम आदमी पार्टी (4) ने पहले ही समर्थन की घोषणा कर दी थी। इसके अलावा विपक्षी एकता या एंटी-बीजेपी वोटों के आधार पर एनसीपी (7), एआईयूडीएफ (3), आईएनएलडी (2), एनसी (1), एसपी (7), जेडीएस (1), सीपीआई (1), जेएमएम (2), पीडीपी (1), आरएलडी (1), एआईएमआईएम (1), आईयूएमएल (2) जैसे दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद थी। यानी कुल मिलाकर विपक्ष को 140 वोटों से अधिक पाने के आसार साफ थे।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ९० मिनट के अपने भाषण में कहा यह कांग्रेस का अहंकार है जिससे उन्हें लगता है कि वह सरकार गिरा सकते हैं और बना सकते हैं। सामने बैठीं सोनिया गांधी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि 1999 में 272 सांसद होने का दावा किया गया था। इस बार भी उनकी ओर से दावा किया था कि उनके पास सरकार को हटाने के लिए नंबर हैं। उनका गुरूर उन्हें बताता है कि वह भाग्यविधाता हैं, और यह भूल जाते हैं कि भाग्यविधाता जनता है।
उन्होंने कहा, ‘न मांझी न रहबर न हक में हवाएं हैं, कश्ती भी जर्जर यह कैसा सफर है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की ओर से जिस तरह उतावलापन और बचकानापन दिखाया जा रहा है वह देश के लिए ठीक नहीं है। मोदी हटाओ ही उनका एकमात्र मुद्दा है। राहुल को यहां पहुंचने की जल्दी है। बिना चर्चा, बिना वोटिंग मुझे उठने को कहा गया। मैं भी हैरान रह गया।
मैं चार साल के काम के बल पर खड़ा हूं, अड़ा भी हूं।
कांग्रेस की ओर से महागठबंधन का खाका बुना जा रहा है। मोदी ने उस पर भी तंज किया और कहा कि 2019 में कांग्रेस के बड़ा दल बनने पर प्रधानमंत्री बनने का ख्वाव देखा जा रहा है, लेकिन उन साथियों का क्या जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। यह सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है बल्कि कांग्रेस के तथाकथित साथियों का सपोर्ट टेस्ट है। लेकिन ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है।
राहुल की शिवभक्ति पर कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा कि भगवान उन्हें इतनी शक्ति दें कि 2024 में वह फिर से राजग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकें।
राहुल ने चुनौती दी थी कि प्रधानमंत्री उनसे आंखें नहीं मिला सकते। मोदी का पलटवार राहुल पर भारी पड़ा। उन्होंने कहा, मैं गरीब का बेटा आपसे क्या आंख मिलाऊंगा। आप तो नामदार हो, हम तो कामदार हैं। आपकी आंख में आंख हम नहीं डाल सकते। सुभाष चंद्र बोस, मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आंख में आंख डाली, उनके साथ क्या किया गया। प्रणब मुखर्जी ने आंख में आंख डाली तो क्या किया गया। शरद पवार के साथ क्या किया गया।
राहुल के आंख मारने वाली हरकत पर प्रधानमंत्री ने तंज किया, ‘आंख की बात करने वालों की हरकतों को आज पूरे देश ने देख लिया कि आप कैसे आंख चला रहे थे।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को खुद पर अविश्वास है, यह अविश्वास ही उनकी कार्यशैली और संस्कृति का हिस्सा है। उसे स्वच्छ भारत, योग दिवस, प्रधान न्यायाधीश और रिजर्व बैंक पर विश्वास नहीं है। देश के बाहर पासपोर्ट की ताकत बढ़ रही है, इस भी विश्वास नहीं। उसे चुनाव आयोग पर विश्वास नहीं, ईवीएम पर विश्वास नहीं। क्योंकि उन्हें अपने पर विश्वास नहीं है। यह अविश्वास इसलिए बढ़ा क्योंकि सत्ता को वह अपना विशेष अधिकार मानते थे, जब जनाधिकार बढ़ने लगा तो परेशानी बढ़ने लगी।
बहस की शुरुआत आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे से हुई थी। उन्होंने उनका भी जवाब दिया और कहा कि टीडीपी ने अपनी विफलता छुपाने के लिए यूटर्न लिया है। चंद्रबाबू से फोन पर कहा था कि बाबू आप वाईएसआर के जाल में फंस रहे हो। उन्होंने कालाधन, जीएसटी, आयुष्मान भारत और रोजगार जैसे कई मुद्दों पर सरकार की उपलब्धियां गिनाईं।
एनपीए की समस्या के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों को कठघरे में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने 2009 से 2014 तक देश के बैंकों को खाली कर दिया। आजादी के 60 साल में देश के बैंकों ने 18 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए थे। लेकिन 2008 से 2014 तक छह साल में यह राशि 52 लाख करोड़ रुपये हो गई। कांग्रेस जब तक सत्ता में रही बैंकों को लूटती रही। दुनिया में नेट बैंकिग शुरू होने से पहले भारत में कांग्रेस ने टेलीफोन बैंकिंग शुरू कर दी। अपने चहेतों के लिए बैंकों को लुटा दिया गया। लोन चुकाने के समय दूसरा लोन दे दिया गया। यह एनपीए का जंजाल पूरी तरह कांग्रेस का है। अब हमने इसकी जांच शुरू की। 12 बड़े मामलों में तीन लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी है। यह राशि कुल एनपीए का 25 फीसद है। तीन बड़े मामलों में 45 फीसद रिकवरी भी हो चुकी है।