हक से लेंगे पीओके : बलूच मांगे आज़ादी : गुलाम कश्मीरी मांगे आज़ादी : पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे : इंशाल्लाह-इंशाअल्ला – अवनीश पी शर्मा

आज़ादी के लिए लड़ते पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान में : लड़ के लेंगे आज़ादी : झूम के लेंगे आज़ादी : हमे चाहिए आज़ादी… के लगते नारों को अब तक कितना और कहाँ-कहाँ समर्थन मिला है देश में ?

– पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने वाले वो जमानती लड़के बताएं कि उन्होंने पीओके और गिलगित बलूचिस्तान की जमीन से उठते आजादी के तरानों पर : कैंपस में कब सांस्कृतिक आयोजन कर लिया ? झूमते हुए अविकसित कमर हिला के कौन-कौन से नारे लगे ?

– बताओ प्रधानमंत्री को भंडवा कहने के नारे लगाने वाली तथाकथित आज़ाद कैंपसों की जेहनी गुलाम लड़कियों : उसी पीएम के पीओके को हासिल करने और बलूचिस्तान को आज़ादी के समर्थन के ऐलान के बाद, गुलाम कश्मीरी और बलूची भाई-बहनों के झूमते आज़ादी की उम्मीदी नारों को : देश की जमीन से तुम्हारे कितने ठुमके मिले ?

– कैंपसों के हॉस्टलों से लगायत गेस्टहाउसों में छात्राओं के बलात्कार करते प्रोफेसरों के साथ भारत की बर्बादी और सौ टुकड़ों के नारों को अपनी छाँव देने को मानव श्रृंखला (ह्यूमन चैन) बनाने वाले, आज़ाद जंगलों के लिए गुलाम कैंपसों से… फ्री सेक्स के नारे देने वाले… अमानवों ! गिलगित बलूचिस्तान से पाकिस्तान के सौ टुकड़े और बर्बादी आती आवाजों पर तुम्हारी मानव श्रृंखलाएं कहाँ, कब और कितनी बड़ी बन गयी ?

– हर काली-लाल टीवी स्क्रीनें और गिरोहबाजी करते पखंडी शुद्धतावादी बताएं आज़ादी की परिभाषा क्या है ?

अगर तुम्हारे लड़ के, झूम के, हर घर से अफजल जन्मा के, इंशाल्लाह बोल के… मांगी गयी आज़ादी का मतलब महज : कश्मीर की आज़ादी है ! पंजाब की आज़ादी है ! केरल और बंगाल की आज़ादी है ! असम और मणिपुर की आज़ादी है ! तो पीओके / बलूचिस्तान की आज़ादी के आवाज़ों के सामने… किस जमीन पर खड़े हो तुम और तुम्हारे जेहनी, राजनैतिक बाप कौन हैं ? ये पूछने का हक रखता है अब देश।

दुनिया भर में स्थापित किये गए क्रांतिकारी पितामहः श्री मान मार्क्स ने पहला विद्रोह और आज़ादी का नारा : अपने कारोबारी पिता, उसके कारोबार, उसकी धार्मिक आस्था यानी चर्च के खिलाफ लगाया ही नहीं, बल्कि पिता को पूरी तरह बर्बाद कर के हासिल भी किया।

आज़ादी पर नारे और विद्रोह की क्रान्ति सलेक्टिव नहीं होगी अब : हर तरह के वैचारिक, राजनैतिक, दार्शनिक, मजहबी…. बापों से आज़ादी और विद्रोह को बराबर आवाजें कब तक बुलंद कर रहे हैं आप ? आपको मार्क्स की कसम।

स्टेंड में साम्यता न रखा तो अस्तित्व के टिकने को सहारे भर को स्टेंड न मिलेगा और जय हिंद बोल के देश… गिरोहों को… कभी वजूद में होने से ही आज़ादी दे देगा।

हक से लेंगे पीओके : बलूच मांगे आज़ादी : गुलाम कश्मीरी मांगे आज़ादी : पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे : इंशाल्लाह-इंशाअल्ला : जय हिंद।

अवनीश पी शर्मा