भारत में निम्न एवं मध्यम वर्ग परिवारों का स्वप्न होता है डॉक्टर एवं इंजीनियरिंग इंजीनियर बनना l इस स्वप्न पर आम आदमी पार्टी ने हथोड़ा चलाने का काम किया l
अभी तक आम आदमी पार्टी निम्न वर्ग एवं मध्यम वर्ग की पार्टी मानी जाती थी l जिसके द्वारा गरीब बच्चों को स्तरीय शिक्षा उपलब्ध कराने का बड़ा-बड़ा दावा किया जाता रहा है l परंतु इसकी जेईई एवं नीट एग्जाम को स्थगित करने के ज़िद एवं धरना प्रदर्शन से जनता हैरान परेशान हो गई l

जेईई एवं नीट के एग्जाम के द्वारा बच्चों को देश के अच्छे इंजीनियरिंग एवं मेडिकल गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन मिलता है l जिसकी फीस प्राइवेट इंजीनियरिंग मेडिकल कॉलेज के मुकाबले बहुत कम होती है,इन कॉलेज की पढ़ाई स्तरीय होती हैं और प्लेसमेंट अच्छा मिलता है l इस कारण से यह परीक्षा लाखों निम्न एवं मध्यम वर्ग के छात्रों एवं पेरेंट्स के लिए महत्वपूर्ण एवं सुनहरा अवसर होते है l बच्चे साल भर जी तोड़ परिश्रम कर इसकी तैयारी करते हैं l
आम आदमी पार्टी के कई नेता गवर्मेंट इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज से नाम मात्र खर्च पर पढ़कर डॉक्टर इंजीनियर बने हैं l खुद अरविंद केजरीवाल एवं उनके बच्चे के बच्चे नाम मात्र खर्च पर पढ़ाई कर से निकलकर इंजीनियर बने हैं l
बहुत से प्राइवेट इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ट्वेल्थ के मार्क्स के आधार पर शुरू हो गया है लेकिन यह सिर्फ अमीर पेरेंट्स एवं उनके बच्चों के लिए हैं, कॉलेज की फीस लाखों में होती है lइसमें निम्न एवं मध्यम वर्ग के बच्चे नहीं पढ़ सकते हैं l तो क्या आम आदमी पार्टी अब अमीरो की पार्टी बन चुकी है l गरीबों के लिए शिक्षा उपलब्ध कराना,सिर्फ चुनाव जीतने का एक हथकंडा है l वह नहीं चाहती कि निम्न एवं मध्यम वर्ग के बच्चे कम खर्च पर अच्छे गवर्मेंट के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में पढ़ें l
आम आदमी पार्टी एक तरफ तो बेहतर स्वास्थ्य एवं कोरोना के नियंत्रण का दावा करती है साथ में मेट्रो, सप्ताहिक बाजार,जिम,होटल रेस्टोरेंट्स अधिक खोलने का महीनों पहले से मांग करती आ रही है l
ऐसे में आम आदमी पार्टी द्वारा जेईई एवं नीट की परीक्षा का विरोध सिर्फ एक सस्ती राजनीति के अलावा कुछ नहीं है l
जेईई एवं नीट की परीक्षा दे रहे छात्र साइंस के स्टूडेंट होते हैं और लगभग सभी की उम्र 18 साल अर्थात वयस्क हो गए होते हैं,यह बच्चे जागरूक एवं कर्मठ होते हैं l इन्हें मालूम है कि हालात का सामना कैसे करना है lकई बच्चे तो अपने शहर से दूर कोटा दिल्ली आदि बड़े शहरों में जाकर एग्जाम की तैयारी करते हैं l इनके पेरेंट्स त्याग कर, कर्ज लेकर,अपने इच्छाओं का दमन कर किसी भी प्रकार से अपने बच्चों को कोचिंग की फीस,किताबें, हॉस्टल के खर्च आदि की व्यवस्था करते हैं l अगर इस साल एग्जाम नहीं होगा तो बच्चों का सारा मेहनत एवं तैयारी व्यर्थ चला जाएगा l स्टूडेंट्स एवं पेरेंट्स का सपना चूर-चूर हो जाएगा l
बच्चों के लिए दोबारा कोचिंग एवं अन्य चीजों की व्यवस्था कराना निम्न एवं मध्यम वर्ग के पेरेंट्स के लिए असंभव है l
अगर यह परीक्षा अगले साल होती तो वर्तमान छात्रों के साथ साथ नए छात्र भी जुड़ जाएंगे l लगभग इनकी संख्या दुगनी हो जाएगी,जबकि इंजीनियरिंग या मेडिकल सीटों की संख्या उतनी ही रहेगी lइससे कंपटीशन बढ़ जाएगा बच्चों के लिए अवसर कम हो जाएंगे l
केंद्र सरकार का जेईई एवं नीट की परीक्षा कराने का निर्णय सराहनीय है सुप्रीम कोर्ट ने इस में मदद की l, पेरेंट्स एवं स्टूडेंट इस निर्णय से खुश हैं उनका सपना पूरा होने वाला है l विपक्ष का रवैया निराशाजनक एवं हतोत्साहित करने वाला था l
शैलेंद्र वर्णवाल