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क्रिकेट को क्रिकेटर ही चलाएं मंत्री या अफसर नहीं’

बीसीसीआई में सुधार के लिए गठित की गई जस्टिस लोढा समिति ने कई सुझावों के साथ अपनी सिफारिश रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। देश की शीर्ष अदालत अब इस बात पर फैसला करेगी कि बीसीसीआई किन-किन सुझावों के साथ आगे बढ़ेगी।

समिति की अहम सिफारिशों में सबसे खास है कि क्रिकेट को क्रिकेटर ही चलाएं मंत्री या अफसर नहीं। साथ ही खिलाड़ियों का एक संघ और संविधान बनाया जाए। इसके अलावा एक सुझाव यह भी है कि एक संचालन समिति हो जिसकी अध्यक्षता मोहिंदर सिंह अमरनाथ, डायना एडुलजी और अनिल कुंबले के साथ पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई भी करें।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में आईपीएल के पूर्व सीओओ सुंदर रमन को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने कुछ समय पहले ही आईपीएल से इस्तीफा दिया था। समिति के अनुसार रमन भ्रष्ट नहीं हैं और उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं वो सही नहीं हैं। हालांकि समिति ने यह माना कि रमन आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल को टीम मालिकों के भ्रष्टाचार के मामले में जानकारी देने में नाकाम रहे थे।

जस्टिस लोढा ने बताया कि अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले समिति ने सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और कपिल देव समेत टीम इंडिया के 6 पूर्व कप्तानों से इंटरव्यू भी लिए थे। साथ ही यह भी कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर उसके कुछ सुझावों पर काम भी कर रहे हैं।जस्टिस लोढा ने कहा, “समिति बीसीसीआई की स्वायत्ता पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती है लेकिन बोर्ड में सुधार की जरूरत है। बीसीसीआई को आरटीआई एक्ट के अंदर आना चाहिए। वर्तमान में बोर्ड सोसाइटीज एक्ट के तहत आता है जो सरकार के प्रति जवाबदेही नहीं है। साथ ही बोर्ड खेल मंत्रालय से किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं लेता है।”

समिति मानती है कि खिलाड़ियों और अधिकारियों को सट्टेबाजी में संलिप्त नहीं होना चाहिए, लेकिन उन्हें अपनी संपत्ति का खुलासा करना चाहिए। समिति का सुझाव है कि कुछ शर्तों के साथ सट्टेबाजी को मान्यता दे दी जानी चाहिए। इसी समिति ने सट्टेबाजी के कारण चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स टीमों को 2 साल के लिए आईपीएल से निलंबित कर रखा है।

समिति के अन्य सुझावों में वरिष्ठ चयन समिति में चेयरमैन को कम से कम एक मैच खेलने का अनुभव होना चाहिए। साथ ही एक प्रतिभाशाली स्पॉटिंग समिति भी होनी चाहिए। उसके अनुसार क्रिकेट से जुड़े मसलों को क्रिकेटरों के जरिए सुलझाया जाना चाहिए जबकि अन्य मुद्दे सीईओ और टीम के 6 पेशेवर मैनेजरों और 2 समितियों द्वारा निपटाए जाएं।

समिति के अनुसार एक राज्य में सिर्फ एक ही क्रिकेट संघ हो और सभी को वोट देने का हक हो। समिति के सुझावों में सबसे अहम सुझाव यह भी है कि बीसीसीआई में एक आदमी और एक पोस्ट का फॉर्मूला लागू किया जाए। अधिकारियों के लिए 3 टर्म से ज्यादा मौके नहीं दिए जाने चाहिए। इसके अलावा बोर्ड में मंत्री या सरकारी कर्मचारी नहीं होने चाहिए। साथ ही उम्र की समयसीमा 70 से ज्यादा न हो।बोर्ड में सुधार के लिए बनाई गई लोढा कमेटी में जस्टिस (रिटायर्ड) आरएम लोढा सहित जस्टिस (रिटायर्ड) अशोक भान और जस्टिस (रिटायर्ड) आरवी रवींद्रम भी शामिल हैं।

इस समय राज्य के अधिकतर क्रिकेट संघों की कुर्सियों पर अधिकतर नेता और बड़े कारोबारी बैठे हुए हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली जो क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) के अध्यक्ष हैं और दिलीप वेंगसरकर जो की मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के उपाध्यक्ष हैं, इनको छोड़कर बाकी जगह कोई भी शीर्ष स्तर का खिलाड़ी नहीं है जोकि राज्यों की क्रिकेट एसोसिएशन में शामिल हो।

दूसरा मामला हितों का टकराव का है। रिपोर्ट में इससे निपटने के लिए भी सुझाव दिया गया है और सुझाव यह है कि इस मामले को कोई योग्य अधिकारी ही देखे।

रिपोर्ट आने से पहले ही बीसीसीआई के कई सदस्यों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि पूर्व खिलाड़ी अच्छे प्रशासक साबित हो सकते हैं।

एन सी आर खबर ब्यूरो

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