दो साल बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की तैयारी की रफ्तार धीमी देख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब ‘मिशन 2017’ की कमान अपने हाथ में ले ली है। संघ ने इसे मिशन ‘चक्रव्यूह 2017’ नाम दिया है।
नए मिशन के तहत संघ प्रदेश के अपने सभी विभाग क्षेत्रों में एक विशेष टीम का गठन करेगा। यह टीम मौजूदा सपा सरकार की खामियों को जनता के बीच ले जाएगी और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करेगी।
संघ की इस टोली में प्रचारकों के अलावा भाजपा के जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। यह पहला मौका है जब संघ खुलकर भाजपा के पक्ष में चुनावी फिजा बनाएगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में संघ ने मिशन ‘चक्रव्यूह’ की कमान अपने प्रचार विभाग के एक प्रमुख स्वयंसेवक को सौंपी है। उनकी अगुवाई वाली टीम में भाजपा के विधायक, विधान परिषद सदस्य, महापौर आदि शामिल हैं।
समय-समय पर ये लोग प्रदेश सरकार के खिलाफ आग उगलते या सड़कों पर आंदोलन करते नजर आएंगे। संघ ही पूरे आंदोलन की कार्ययोजना तैयार करेगा।
सपा सरकार की खामियों और जनविरोधी नीतियों को उजागर करने के साथ ही जनाक्रोश को अपने पक्ष में मोड़ने की रणनीति पर भी संघ काम कर रहा है। हालांकि पूरे मिशन में संघ के वरिष्ठ नेता पर्दे के पीछे रहेंगे। समय-समय पर प्रचारक ही फ्रंट पर दिखेंगे।दिसंबर 2014 में विंध्याचल में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में मिशन-2017 का एक रोडमैप तैयार किया गया था। एक साल बीतने को है और उस कार्ययोजना पर भाजपा एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। इसके लिए नेता पार्टी कार्यकर्ताओं की व्यस्तता का हवाला देते हैं।
ऑनलाइन सदस्यता अभियान, महासंपर्क अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूरे साल व्यस्त रहने की वजह से भाजपा न तो सपा सरकार के खिलाफ पूरे एक साल में कोई एक ऐसा मुद्दा खोज सकी जिससे वह सरकार पर हमला बोल सके और न ही जनता के बीच प्रदेश सरकार की नकारात्मक छवि ही उजागर कर सकी।
ऐसे में संघ ने इस फार्मूले को खारिज करते हुए ‘चक्रव्यूह’ की रचना की है। संघ की रहनुमाई में भाजपा अब यूपी फतह के लिए ‘मिशन चक्रव्यूह’ के एजेंडे पर ही काम करेगी।