रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों पर देश की सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाकर बवाल खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि रक्षामंत्री के आरोप बहुत ही गंभीर हैं, वह उन प्रधानमंत्रियों के नाम बताएं या माफी मांगें।
मनोहर पर्रिकर ने गुरुवार को रक्षा मामलों से जुड़ी एक पत्रिका के विमोचन समारोह में कहा कि कुछ प्रधानमंत्रियों ने देश की सुरक्षा से संबंधी संवेदनशील मसलों पर समझौता किया। उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा के लिहाज से ‘डीप एसेट्स’ का निर्माण जरूरी होता है। उन्हें बनाने में कम से कम 20 से 30 साल का वक्त लगता है। लेकिन कुछ प्रधानमंत्रियों ने ‘डीप एसेट्स’ को लेकर समझौते किए।’
पर्रिकर ने ये बयान उस टेरर-बोट के संदर्भ में दिया, जिसे लेकर रक्षा मंत्रालय का दावा रहा है कि उसमें आतंकी सवार थे और वे भारत में घुसकर 26/11 जैसे हमले करने के फिराक में थे। भारतीय कोस्ट गार्ड ने समुद्र में ही उसे घेर लिया था, जिसके बाद आतंकियों ने नाव में आग लगा दी। रक्षामंत्री से जब ऐसे प्रधानमंत्रियों का नाम जाहिर करने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि मैं किसी का नाम नहीं बताऊंगा। बहुत से लोग उन नामों को जानते हैं। कांग्रेस पर तंज करते हुए मनोहर पर्रिकर ने कहा कि कांग्रेस हाल में किए गए टेरर बोट ऑपरेशन को लेकर सुबूत मांग रही है। भविष्य में ऐसे ऑपरेशन होंगे तो हम मीडिया और कांग्रेस प्रवक्ता को लेकर जाएंगे।
कांग्रेस ने रक्षामंत्री के बयान पर सख्त एतराज जताया है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि रक्षामंत्री के आरोप बहुत ही गंभीर है। वह ऐसे प्रधानमंत्रियों के नाम बताएं, जिन्होंने डीप एसेट्स से समझौते किए, अन्यथा माफी मांगे।
उन्होंने कहा कि अगर रक्षामंत्री के पास पूर्व प्रधानमंत्रियों के खिलाफ सुबूत हैं तो वह उसे सार्वजनिक करें। अगर वह सुबूत नहीं दे सकते तो माफी मांगे। एक अन्य कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा कि रक्षामंत्री खुलकर अपने बात करें अन्यथा उनके आरोपों से भ्रम पैदा होगा और असलियत सामने नहीं आएगी।