देश की इकलौती वामपंथी सरकार के मुखिया और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भारत के प्रधानमंत्रो को न्योता भेजकर उनसे अपनी कैबिनेट के साथ ‘गुड गवर्नेंस’ पर बात करने का आग्रह किया है। इस तरह की बैठक देश में पहली बार होने जा रही है।
केंद्र और राज्य सरकारों के संबंधों की कड़वाहट के इतर इस अनोखी पहल को एक नई शुरूआत माना जा रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि जब राज्यों के विकास की बात आती है तो वहां पर राजनीति की गुंजाइश नहीं रह जाती है।
गौरतलब है कि मोदी पल्ताना में ओएनजीसी-त्रिपुरा पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा बनाए गए 726 मेगावाट पॉवर प्लांट की सेकेंड यूनिट का उद्धाटन करने आ रहे हैं। यह जगह राज्य की राजधानी से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर है। सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी उद्धाटन समारोह के बाद सरकार के कैबिनेट सदस्यों से भी मुलाकात कर सकते हैं।
साल 1998 से राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने नरेंद्र मोदी से पत्र के जरिए मनरेगा स्कीम के तहत राज्य को आवंटित होने वाले पैसे की कमीं की आशंका को भी साझा किया था।बतौर मुख्यमंत्री माणिक सरकार अपने चौथे कार्यकाल का लुत्फ उठा रहे हैं। उन्होंने इस बात का ध्यान रखा है कि उन प्रस्तावित परिवर्तनों को करना होगा जिसका सीधा संबंध ग्रामीण क्षेत्र के लोगों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और सीपीएम के पोलित ब्यूरो के सदस्य माणिक को मोदी ने अगस्त में दिल्ली बुलाया था, माणिक उस वक्त एक जिले में केंद्रीय समिति की बैठक में व्यस्त थे। उन्होंने उस वक्त की अपनी बातचीत को शिष्टाचार बातचीत की संज्ञा दी थी और कहा था कि वो त्रिपुरा से जुड़े मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री से दोबारा मुलाकात करेंगे।
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम को बड़ी जीत दिलाने के लिए सरकार को काफी सराहा गया था। उन्होंने त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीटों में से 50 सीटों पर उस वक्त कब्जा जमाया था जब पश्चिम बंगाला और केरल जैसे राज्यों मे वामपंथी पार्टियों की स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है।
माणिक सरकार को देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के तौर पर भी जाना जाता है। चुनाव आयोग के सामने पेश किए गए अपने हलफनामे में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति जो बताई थी वो काफी हैरान करने वाली है। आंकड़ों के मुताबिक उनके पास उस वक्त 1,080 रुपए की नकदी और मात्र 9,720� का बैंक बैलेंस था।माणिक सरकार को साधारण व्यक्ति और अच्छे प्रशासक के तौर पर भी जाना जाता है। सरकार को राज्य की प्रगति में बहुत बड़ा योगदान दिया जाता है। सरकार को उनसे पूर्ववर्तियों ने जिस स्थिति में राज्य सौंपा था वो उसे आज उससे बेहतर स्थिति में ले आए हैं।
सरकार को राज्य में दशकों पुराने उग्रवाद को शांत करने का भी श्रेय जाता है। सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं को वो केंद्र और राज्य संबंधों के बीच विचारधारा के व्यवधान को आड़े नहीं आने देंगे।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिपुरा यात्रा के साथ साथ यह संकेत भी दिए हैं कि वो अपने पूर्वी पड़ोसियों बांग्लादेश और म्यांमार के साथ अपने उप-क्षेत्रीय आर्थिक गलियारे को भी विस्तार देना चाहते हैं।
सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वो बांग्लादेश के साथ बेहतर और व्यापक भूतल परिवहन कनेक्टिविटी स्थापित करने का प्रयास करें। पल्टाना प्लांट के निर्माण के दौरान बांग्लादेश ने अपनी सीमा-क्षेत्र से भारी ऊर्जा यंत्रो की आवाजाही की अनुमति दे दी थी।