नई दिल्ली, सोमवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी शगुन के तौर पर मां से मिले 101 रुपये और चंद निजी सामान के साथ 7, रेसकोर्स में प्रवेश करेंगे। इन सामानों में मोदी की पहचान बन चुके आधे बाजू के कुर्ते, घड़ियां, लैपटॉप, आइपैड, योग और व्यायाम के उपकरण और कुछ किताबें शामिल हैं। पिछले 13 साल तक मुख्यमंत्री के रूप में मिले वेतन और गिफ्ट को मोदी ने वहीं छोड़ दिया है। हां, पिछले 10 साल से गुजराती खाना बनाकर खिलाने वाले रसोइये और दो निजी सहायकों को वे दिल्ली लाना नहीं भूले हैं।
बृहस्पतिवार को जब नरेंद्र मोदी विधानसभा के सदस्यों और गुजरात की जनता से विदा ले रहे थे, तब मुख्यमंत्री आवास में उनके ये चंद सामान पैक किए जा रहे थे। फिलहाल ये सारे सामान गुजरात भवन में रखे गए हैं और वहीं से सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद करीब आधा किलोमीटर दूर प्रधानमंत्री आवास पहुंच जाएंगे।
प्रधानमंत्री आवास में उनका 10 साल पुराना रसोइया बद्री गुजराती खाने का स्वाद बनाए रखेगा। ज्ञात हो, चुनाव प्रचार के दौरान पूरे देश में ढाई सौ से अधिक सभाएं करने वाले मोदी शायद ही कभी बद्री के हाथ का खाना छोड़े हों। रात में वह लौटकर अहमदाबाद पहुंचते रहे। मोदी की मदद के लिए दो पुराने व भरोसेमंद निजी सहयोगी दिनेश ठाकुर और ओपी सिंह भी दिल्ली पहुंच गए। ये दोनों लंबे समय से सीएम आवास में मोदी के निजी सहायक के रूप में काम कर रहे हैं।
बेटियों की शिक्षा के लिए दे दी 21 लाख की कमाई
नई दिल्ली। मां हीराबा से मिले शगुन के 101 रुपये के अलावा नरेंद्र मोदी गुजरात से लेकर कुछ नहीं आए। मुख्यमंत्री के रूप में की गई लगभग 21 लाख रुपये की कमाई को उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में काम करने वाले तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की लड़कियों की पढ़ाई के लिए सौंप दिया। गुजरात से रवाना होने से पहले किए गए ट्वीट में मोदी ने यह जानकारी दी। इस पैसे से एक कोष का गठन किया जाएगा जिसका इस्तेमाल लड़कियों की पढ़ाई के लिए किया जाएगा। इसी तरह मुख्यमंत्री के रूप में चुनावी दौरे के दौरान मिले उपहारों को भी मोदी ने वहीं छोड़ दिया। मोदी के करीबी सूत्रों के अनुसार, इन उपहारों की नीलामी कर उससे मिलने वाले धन को लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है।