अहमदाबाद -आश्रम में आने वाली लड़कियों से जबरदस्ती यौन संबंध व गर्भपात कराने के मामले में उलझे आसाराम और नारायण साई आश्रमों में सेक्स रैकेट चलाते थे। आश्रम में आने वाली लड़कियों को फंसाने के लिए दोनों ने अलग-अलग गैंग बनाए थे। इनके राज अब खुलने लगे हैं। रसोइया सरकारी गवाह बन गया है, जबकि आसाराम की बेटी भारती ने माना है कि वह लड़कियों को बाबा की कुटिया तक ले जाती थी। आसाराम की लगातार सामने आ रही हरकतों से गुस्साए लोगों ने मंगलवार को गुजरात के वलसाड़ आश्रम में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी।
आसाराम के लिए पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती, साधिका धू्रवबेन, वार्डन शिल्पी, श्रुति, रसोइया प्रकाश लड़कियों को तैयार कर कुटिया तक पहुंचाते थे, जबकि नारायण साई के लिए यह काम निजी सहायक मोहित, हनुमान, मोनिका, मीरा, निर्मला व धर्मेश करते थे। सरकारी गवाह बने प्रकाश ने माना कि वह लड़कियों को खाने में अफीम देता था, जबकि भारती ने स्वीकारा कि वह लड़कियों को कुटिया तक ले जाती थी। पत्नी लक्ष्मी ने कहा है कि उन्हें आसाराम की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं है।
यौन शोषण का आरोप लगाने वाली व्यारा की एक लड़की को आसाराम के गुर्गो ने फोन पर धमकी दी, जिसके बाद मंगलवार को पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा-164 के तहत बयान दर्ज कराने से इन्कार कर दिया। पूर्व में पीड़िता ने कहा था कि आसाराम ने आश्रम में उसके साथ गंदी हरकतें की थी। लड़की के बयान के बाद आसाराम के किसी गुर्गे ने फोन पर उसे धमकाया। जांच अधिकारी आरए मुंशी ने स्थानीय अदालत को इसकी जानकारी दी है।
जोधपुर ले जाए गए आसाराम
लड़कियों से यौन शोषण के आरोपी आसाराम क ो तीन दिन की रिमांड पूरी होने के बाद मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच गांधीनगर जिला न्यायालय में पेश किया गया। विशेष जांच दल की ओर से आसाराम की रिमांड बढ़ाने की मांग नहीं होने से न्यायालय ने उन्हें साबरमती सेंट्रल जेल ले जाने का आदेश दे दिया। इसके बाद उन्हें जोधपुर ले जाया गया।
सहायक पुलिस आयुक्त जेके भट्ट के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल ने आसाराम को सुरक्षा के मद्देनजर नाडियाड या सूरत जेल में रखने की मांग की थी, लेकिन अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वीए बुध ने उन्हें साबरमती जेल में ही रखने का आदेश दिया। जोधपुर न्यायालय ने अहमदाबाद पुलिस को 25 अक्टूबर तक आसाराम को हिरासत में रखने की मंजूरी दी है। सूरत की युवती द्वारा दुष्कर्म का मामला दर्ज कराने के बाद जोधपुर जेल से ट्रांसफर वारंट पर अहमदाबाद लाए गए आसाराम की रिमांड दो बार मंजूर की गई थी। रिमांड के दौरान आसाराम और पीड़िता की आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई थी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आसाराम को साबरमती जेल से जोधपुर ले जाया गया है।
नारायण की याचिका पर सुनवाई टली
रेप का आरोप लगने के बाद फरार नारायण साई की अग्रिम जमानत याचिका पर एक बार फिर सूरत की अदालत में सुनवाई टल गई है। साईं की याचिका पर सुनवाई लगातार टल रही है। मंगलवार को सुनवाई की तारीख तय की गई थी, जो अब बुधवार तक के लिए टल गई है। मंगलवार को सरकारी वकील ने साईं की ओर से दाखिल हलफनामे में किए दस्तखत पर सवाल उठाते हुए याचिका रद करने की माँग की।
अदालत ने कहा कि अगर हलफनामे पर साईं के दस्तखत में असमानता है, तो इसके लिए अलग से अर्जी दी जा सकती है।
अभी तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहे नारायण साई को पकड़ने के लिए पुलिस ने दिल्ली, गाजियाबाद, आगरा समेत कई जगहों पर छापेमारी की थी, लेकिन वह अबतक हाथ नहीं लगा है। इस बीच आसाराम बापू और उनके पुत्र नारायण साई पर अब अपहरण के मामले में फंस गए हैं। वृंदावन निवासी एक व्यक्ति मोहनानंद उर्फ लालबाबा ने पिता-पुत्र पर अपनी पत्नी के अपहरण का आरोप लगाया है। दौसा पुलिस थाने में इस संबंध में मुकदमा दर्ज किया गया।
मोहनानंद ने बताया कि आसाराम को कड़ी सजा दिलवाने के लिए उसने दौसा के सहजनाथ महादेव मंदिर में सत्याग्रह यज्ञ शुरू किया है। शिकायत के मुताबिक, बीमारी का उपचार कराने के लिए मोहनानंद 31 जनवरी, 2008 को सूरत स्थित आसाराम आश्रम गए थे। वहां पत्नी को महिला आश्रम छोड़ा था। करीब आधे घंटे बाद पत्नी को लेने के लिए आश्रम पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। तब से उनकी पत्नी लापता है।
मोहनानंद ने इस बाबत 20 अप्रैल, 2010 को राष्ट्रीय महिला आयोग में भी आसाराम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उधर, आसाराम के प्रमुख सेवादार शिवा के पिता और पत्नी भी आसाराम को सजा दिलाने के पक्ष में हैं।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के डेयरी संचालक अनिल ठाकुर ने दावा किया है कि नारायण साई पिछले दिनों यहां आया था और शरण मांगी थी। उसका हुलिया बदला हुआ था। हालांकि पुलिस इस दावे को अफवाह करार दे रही है। अनिल के अनुसार साई 19 अक्टूबर की देर रात अपने साथियों के साथ कार से छपारा पहुंचा और हनुमान मंदिर में रुकने की बात कही। तब अनिल ने उन्हें छपारा बंजारी मंदिर ठहरने की सलाह दी। उधर बंजारी मंदिर के पुजारी का कहना कि उस रात उनके मंदिर में कोई नहीं आया।