राजेश बैरागी । संभवतः ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने किसानों की समस्याओं के समाधान का लक्ष्य तय कर लिया है।उनके लक्ष्य संधान को हल्के में ले रहे अधिकारियों को बुधवार को दो बार शर्मिंदा होना पड़ा।
प्राधिकरण में भ्रष्टाचार नीतियों और अधिकारों के अभाव से नहीं बल्कि अधिकारियों के द्वारा लोगों का काम लटकाने से फलता फूलता है।पिछले कुछ वर्षों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में काम न करने की जिस संस्कृति का उदय हुआ, उससे अभी भी अधिकारी और कर्मचारी बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं।
बुधवार को सीईओ रवि कुमार एनजी के द्वारा किसानों के आवासीय भूखण्ड विभाग में औचक निरीक्षण से यह स्पष्ट हो गया। वहां दलालों की भीड़ थी। सीईओ ने पूछताछ की तो अधिकारी बगल झांकने लगे। उन्होंने उन्हें कड़ी फटकार लगाई और दलालों को जेल भिजवाने की चेतावनी दी। उसके बाद अपने कक्ष में लोगों की समस्या सुनते हुए फिर एक बार किसानों का काम देखने वाले अधिकारियों को उन्होंने काम न करने के लिए डांट लगाई।
दरअसल गांव हबीबपुर में एक किसान अपने आवासीय भूखण्ड के लिए पिछले पांच सात साल से प्राधिकरण के चक्कर काट रहा है। उसने आज सीईओ को अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने तत्काल संबंधित अधिकारियों को तलब कर लिया। अधिकारियों ने आदत के मुताबिक गोलमोल जवाब दिया। सीईओ ने जब उस किसान को आज ही भूखंड पर कब्जा देने के लिए स्वयं चलने की बात कही तो अधिकारियों की बोलती बंद हो गई। यहां यह गौरतलब है कि प्राधिकरण में व्याप्त समस्याओं का एक बड़ा हिस्सा किसानों से संबंधित है। भूलेख विभाग के लेखपाल से लेकर नियोजन विभाग के महाप्रबंधक तक किसानों की समस्याओं को सुलझाने में कोई रुचि नहीं दिखाते। पिछले कुछ वर्षों में किसानों के साथ जमकर लूट खसोट हुई है। वर्तमान सीईओ संभवतः किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कटिबद्ध हैं। परंतु निचले अधिकारी अभी बीती रात के खुमार में ही डूबे जान पड़ते हैं।