भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को चीन की कुछ कंपनियों द्वारा उत्तर-पूर्व राज्यों के अलगाववादी और आतंकी गुटों को हथियार मुहैया कराने के पुख्ता सुबूत हाथ लगे हैं।
एजेंसियों को यह भी पता चला है कि केंद्र के साथ शांति वार्ता कर रहा नगालैंड का संगठन एनएससीएन (आईएम) चीनी कंपनियों के लिए काम कर रहे बिचौलियों की मदद से लगातार हथियार इकट्ठा करने में लगा हुआ है।
बीते दिसंबर में हथियारों की एक बड़ी खेप के लिए संगठन ने अफ्रीका के एक देश के निजी बैंक के जरिए चीन की नॉर्दर्न इंडस्ट्रियल कंपनी (नॉरिनको) को आठ लाख डॉलर का भुगतान किया।
पिछले हफ्ते थाईलैंड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हाथ विली नारू नाम के हथियार दलाल की गिरफ्तारी से उत्तर-पूर्व के संगठनों और चीनी हथियार कंपनियों की सांठगांठ के कई नए सुबूत हाथ लगे हैं।
सूत्रों ने बताया कि हथियारों की यह खेप जनवरी 2013 में बांग्लादेश के चेतिकांग के कोस्ट बाजार आनी थी। यहां से उसे एनएससीएन (आईएम) तक पहुंचना था।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि दरअसल यह डील दलाल विली नारू के जरिए संगठन के वरिष्ठ सदस्य और हथियार सप्लायर एंथनी सिमरे के बीच हुई थी।
लेकिन इससे पहले कि हथियारों की वह खेप चीन से चलती जनवरी महीने में ही सिमरे को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया।
सूत्रों के मुताबिक एनएससीएन का अफ्रीका के लागोस, नैरोबी और हरारे के निजी बैंकों में खाते खुले हैं। एजेंसियां इस पूरे डील में बैंकों के रोल की तहकीकात भी कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि थाईलैंड में विली की गिरफ्तारी के बाद खुद सिमरे ने उसकी पहचान चीन के हथियार दलाल के तौर पर की है। विदेश मंत्रालय विली को थाईलैंड सरकार की मदद से भारत लाने की कोशिश में है। विली की पूछताछ से भारत में चीन से अवैध हथियार के सप्लाई से जुड़े कई नए खुलासे होंगे।