सोलन/शिमला
आर्डर मिलने के बाद कुछ देर चले ड्रामे के बाद योगपीठ ने परिसर खाली कर दिया। शाम को डीसी और एसपी सोलन ने कब्जा लेने की रिपोर्ट मुख्य सचिव को शिमला करे फैक्स कर दी। जिला प्रशासन और पुलिस ने शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे पूरे परिसर को सील कर दिया और जमीन के सरकारी अधिग्रहण का नोटिस मुख्य गेट पर चस्पा किया।
शुक्रवार सुबह करीब दस बजे जुन्गा बटालियन से जवानों से भरी चार बसें निर्माणाधीन स्थल पर पहुंची। चप्पे चप्पे में जवानों की तैनाती हुई। डीसी सोलन मीरा मोहंती और एसपी सोलन रमेश छाजटा ने पूरे अभियान को खुद लीड किया। डीसी ने बताया कि सरकार के आदेशों के मुताबिक पतंजलि योगपीठ की यह लीज रद कर पूरे 96 बीघा परिसर का कब्जा वापस ले लिया गया है। अब इस जमीन और संपत्ति की मालिक सरकार है।
यूं हुआ हाई प्रोफाइल ड्रामा
शुक्रवार दोपहर को परिसर के आसपास पुलिस हलचल देख पतंजली योग समिति ने अनुष्ठान शुरू कर दिया। कुछ स्थानीय लोग भी समर्थन में अनुष्ठान में बैठे। दोपहर 2.30 बजे एसपी सोलन, एसडीएम कंडाघाट दल-बल के साथ पहुंचे। जमीन खाली करने के लिए घोषणा हुई। लेकिन लाउडस्पीकर पर मंत्रोच्चारण के साथ अनुष्ठान जारी रहा। पुलिस ने केंद्र की लाइट काट दी और जवानों ने भी पोजिशन ले ली। पुलिस को पोजिशन लेता देख पतंजलि योग समिति के पदाधिकारियों, ग्रामीणों और प्रशासन के बीच चर्चा हुई। करीब दो घंटे के बाद एसडीएम ने अनुष्ठान को खंडित करने की प्रक्रिया पूर्ण की और कब्जा लिया गया।
‘निश्चित समय पर होगा उद्घाटन’
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश की सरकार तानाशाही पर उतर आई है। पिछली सरकार ने जो भूमि राष्ट्र सेवा के लिए पतंजलि योगपीठ को आवंटित की थी, उस पर कांग्रेस सरकार पुलिस बल के साथ कब्जा कर रही है। इससे डरने का सवाल ही पैदा नहीं होता। जन सहयोग से करोड़ों रुपये खर्च कर जो प्रकल्प तैयार किया है, उसका उद्घाटन निश्चित समय पर होगा। वे उद्घाटन के लिए सोलन जाएंगे।
कोर्ट जाएंगे बाबा रामदेव
ताजा घटनाक्रम के बाद बाबा रामदेव के 27 फरवरी को साधुपुल आने पर अब संदेह है। हालांकि भारत स्वाभिमान मंच के राज्य प्रभारी लक्ष्मी शर्मा ने बताया कि बाबा का दौरा रद नहीं हुआ है। पूरे प्रदेश से लोग आ रहे हैं। इस दौरान योग शिविर भी लगेगा। यह आयोजन कहां होगा? यह अभी साफ नहीं है। उन्होंने कहा कि योगपीठ अब इस मसले पर हाईकोर्ट जाएगी। एक-दो दिन में स्थिति साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि योगपीठ को बिना नोटिस दिए, बिना सुनवाई किए यह एकतरफा कार्रवाई हुई है।
भाजपा ने कहा, शर्मनाक कदम
भाजपा सरकार के समय स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री रहे डा. राजीव बिंदल ने पूरी कार्रवाई को शर्मनाक कदम बताया है। इससे निवेशक राज्य के रूप में हिमाचल की बदनामी पूरे देश में होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने आयुर्वेद एवं पर्यटन विकास और जड़ी बूटियों के विपणन के नजरिए से यह कदम उठाया था। लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे राजनीतिक चश्मे से देखा। इसके विपरीत उत्तराखंड में पतंजलि योगपीठ को कांग्रेस की सरकारों का हमेशा सहयोग मिला है।
कब क्या हुआ
जनवरी 2010: धूमल सरकार की कैबिनेट ने बाबा रामदेव को सोलन के साधुपुल में 28 एकड़ (करीब 96 बीघा) भूमि लीज पर पतंजलि योगपीठ का दूसरा केंद्र हिमाचल में स्थापित करने को दी।
जून 2010: बाबा रामदेव ने मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की उपस्थित में परिसर में भूमि पूजन और शिलान्यास किया। हालांकि यहां निर्माण कार्य 2011 के अंत में शुरू हुआ।
जनवरी 2013: नई कांग्रेस सरकार के राजस्व मंत्री कौल सिंह ने शीतकालीन सत्र के दौरान धर्मशाला में कहा कि बाबा रामदेव को गैरकानूनी तरीके से लीज पर जमीन दी गई है, जांच करेंगे।
19 फरवरी 2013: राजस्व विभाग ने लीगल एडवाइज के बाद मामला राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा और कैबिनेट ने लीज डीड रद कर दी।
22 फरवरी 2013: डीसी सोलन ने लीज रद करने का आर्डर पतंजलि योगपीठ को सुनाया। एसडीएम कंडाघाट ने पुलिस की मदद से परिसर अपने कब्जे में लिया।