
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे प्रद्युत वोहरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कामकाज पर सवाल उठाते हुए पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है।
शाह को भेजे चार पन्नों के त्यागपत्र में वोहरा ने कहा है कि कांग्रेस के दस साल के कुशासन के खिलाफ पार्टी ने अच्छे दिन का नारा दिया था, लेकिन ये अच्छे दिन कुछ हिस्सों तक ही सीमित है। वोहरा के मुखर विरोध के बाद से भाजपा में अंदर खाने इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आने वाले दिनों में मोदी और शाह की कार्यशैली के खिलाफ अन्य राज्यों से भी आवाज उठेंगी।
लोकसभा चुनाव और उसके बाद संपन्न विधानसभा चुनावों में जीत के बाद ऐसा लगने लगा था कि भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नेतृत्व पूरी तरह से हावी हो चुका है, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव की हार के बाद ये धारणा टूटने लगी है। मोदी और शाह के खिलाफ भी विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं।शाह को लिखे अपने पत्र में प्रधानमंत्री पर व्यक्तिवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए वोहरा ने कहा है कि मोदी ने लोकतंत्र की परंपरा को नुकसान पहुंचाया है। उनके मंत्रिमंडल के मंत्रियों को स्वेच्छा से निजी स्टाफ रखने तक की आजादी नहीं है।
वोहरा ने आश्चर्य जताया है कि लोकतंत्र की परंपरा का निर्वाह न करने पर किसी भी मंत्री, पदाधिकारी या सांसद ने प्रधानमंत्री से सवाल नहीं पूछा।
वहीं शाह के कामकाज पर चोट करते हुए वोहरा ने कहा है कि शाह की केंद्रित और व्यक्तिवादी कार्यप्रणाली ने पदाधिकारियों के मनोबल को गिराया है। उन्होंने असम भाजपा के हालातों को बयां करते हुए कहा है कि पार्टी वैसी नहीं रह गई है, जिसके लिए पहचानी जाती थी।