भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और सांसद वरुण गांधी चुनाव आचार संहिता उल्लंघन और वर्ग विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के एक मामले में दोषमुक्त करार दिए गए हैं।
दूसरे केस में गवाही कराने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दी गई अर्जी सीजेएम कोर्ट ने खारिज कर दी। दूसरे मामले में अगली सुनवाई एक मार्च को होगी। लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के निर्देश पर दोनों मामले दर्ज हुए थे।
वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में वरुण पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी थे। चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने और एक वर्ग विशेष के खिलाफ भाषण देने के आरोप में उनके खिलाफ प्रशासन ने दो मामले मार्च, 2009 में दर्ज कराए थे।
एक मुकदमा शहर कोतवाली और दूसरा थाना बरखेड़ा में दर्ज हुआ था। 28 मार्च, 2009 को उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया। 29 मार्च,2009 को रासुका लगाकर उन्हें एटा जेल भेजा गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 16 अप्रैल, 2009 को एटा जेल से छूटकर वह चुनाव लड़े और करीब पौने चार लाख वोटों से जीतकर सांसद बने। दोनों मामलों में शासन की अनुमति के बाद चार्जशीट दाखिल हुई।
अभियोजन ने कोतवाली केस में 12 और बरखेड़ा के केस में 34 गवाह कोर्ट में पेश किए, लेकिन सभी गवाह मुकर गए। सुनवाई के बाद सीजेएम अब्दुल कय्यूम ने साक्ष्य के अभाव में वरुण को कोतवाली केस में दोषमुक्त कर दिया।
बरखेड़ा वाले मामले में गवाही होने के बाद इलाहाबाद के हसद हयात ने कोर्ट में धारा 311 सीआरपीसी के तहत अर्जी देकर अपने बयान दर्ज कराने की मांग की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया। अगली सुनवाई पहली मार्च को होगी।
‘न्यायपालिका में मेरा सदैव ही अटूट विश्वास रहा है। मैं अदालत के उस निर्णय का स्वागत करता हूं, जिसमें एक मजबूत और अखंड भारत की मेरी प्रतिबद्धता को सही ठहराया गया है। मैं उन सभी लोगों के प्रति आभारी हूं जो कठिन समय में मेरे साथ खड़े रहे और मुझ पर भरोसा बनाए रखा। उत्तर प्रदेश और पीलीभीत के लोगों का खास तौर से आभारी हूं, जिन्होंने मुझे अपना प्रतिनिधि चुना। हम सब पहले की तरह मिलकर अपने महान राष्ट्र की प्रगति के लिए पूरे विश्वास और साहस के साथ काम करते रहेंगे।’–वरुण गांधी, सांसद, पीलीभीत।