वॉशिंगटन।। एक भारतीय अमेरिकी ग्रुप ने गुजरात के सीएम और बीजेपी के इलेक्शन कैंपेन के चीफ नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया है। भारतीय अमेरिकियों के ग्रुप ‘इमाननेट’ के प्रेजिडेंट और ‘कोअलिशन अगेंस्ट जेनोसाइड’ के को-फाउंडर शेख उबैद ने कहा कि नरेंद्र मोदी पर गुजरात दंगों के दाग हैं। मोदी भारत, गुजरात, हिन्दुत्व और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बोझ हैं। इस ग्रुप ने मोदी को अमेरिकी वीजा न देने के लिए सांसदों द्वारा प्रेजिडेंट ओबामा को लिखे लेटर को सही ठहराया है।
शेख ने कहा कि मानवाधिकार सबसे ऊपर होते हैं। गुजरात दंगा पीड़ितों को एक दशक बाद भी न्याय नहीं मिला है। हो सकता है कि इसका जिम्मेदार व्यक्ति प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बन जाए। शेख ने कहा कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और फिजी में भारतीयों के खिलाफ दंगों सहित अन्य देशों के आंतरिक मामलों में भी नैतिक रुख अपनाया है तो प्रेजिडेंट ओबामा को इसमें शामिल क्यों नहीं किया जा सकता।
शेख ने लेटर को लेकर बीजेपी की इस बात को खारिज किया कि एक सांसद पीछे हट गया है। उन्होंने कहा कि यह मोदी समर्थकों की विभाजित करने की रणनीति है। मुझे कुछ और सांसदों के दबाव में आने की आशंका है।
सूत्रों के मुताबिक, मानवाधिकारों को सबसे ऊपर बताते हुए सेक्युलर इंडियन-अमेरिकन ग्रुप्स ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता नरेंद्र मोदी का वीजा नामंजूर करने की नीति पर बने रहने के लिए यूएस प्रेजिडेंट बराक ओबामा को लिखे गए 65 सांसदों के लेटर को सही ठहराया है। इन ग्रुप्स ने पिछले आठ साल से भी ज्यादा समय से मोदी विरोधी अभियान छेड़ा हुआ है। साथ ही ये ग्रुप्स अमेरिका को इस बात पर राजी करने में अब तक कामयाब रहे हैं कि मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं दिया जाए। हालांकि इन ग्रुप्स का कहना है कि मोदी के खिलाफ ओबामा को लिखे गए लेटर पर सिग्नेचर करने वाले कुछ नेताओं पर अब इस पर सिग्नेचर से इनकार करने का दबाव है।
राज्यसभा के 25 और लोकसभा के 40 सदस्यों ने 26 नवंबर और 05 दिसंबर 2012 को यह लेटर लिखा था और इसे रविवार को वाइट हाउस के लिए फिर से फैक्स किया गया। इस बीच, न्यूज पेपर ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने सांसदों द्वारा ओबामा को अंदरूनी मुद्दे पर लेटर लिखने के फैसले को विचार नहीं करने लायक करार दिया है। न्यूजपेपर ने लिखा कि यह विचार करने लायक नहीं है कि भारतीय सांसद किसी अंदरूनी मामले में रूख तय करने के लिए अमेरिका से अपील करें। कई भारतीय नेता इस विचार का विरोध करेंगे।