योगगुरु बाबा रामदेव के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अब वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे का भी साथ मिल गया है। अन्ना ने कहा कि वह नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक नहीं मानते।
कोयला घोटाले के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए अन्ना ने कहा कि इस घोटाले में सीबीआई की रिपोर्ट को भी बदला गया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
मोदी के सांप्रदायिक विचारधारा का नेता होने के आरोपों पर अन्ना ने कहा, ‘मोदी के सांप्रदायिक नेता होने के संबंध में अब तक कोई सबूत मेरे सामने नहीं आया है, लेकिन क्या नरेंद्र मोदी और क्या राहुल गांधी, जब तक भारत का प्रधानमंत्री किसी पार्टी से जुड़ा होगा, तब तक देश और समाज को सही प्रधानमंत्री नहीं मिलेगा।’
अन्ना ने कहा कि देश को सही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तब ही मिलेंगे, जब इनका चुनाव सीधे जनता करेगी। उन्होंने कहा कि यह कहना सरासर गलत है कि मैं कांग्रेस के विरोध में हूं। हमें कांग्रेस और भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन मेरा सवाल है कि भाजपा ने कोयला घोटाले का संसद में उचित विरोध क्यों नहीं किया।
गौरतलब है कि पुणे में नरेंद्र मोदी के विवादित भाषण को लेकर सियासी गलियारों में काफी हंगामा मचा था। कांग्रेस और अन्य दलों ने मोदी को सांप्रदायिक नेता करार दिया था।