नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलों के बीच शनिवार को केंद्रीय आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री अजय माकन ने इस्तीफा दे दिया। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अगले हफ्ते मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है। माकन के इस्तीफे को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार अभी और मंत्री भी इस्तीफा दे सकते हैं ताकि संगठन से कुछ लोगों को मंत्रालय में जगह दी जा सके। इस्तीफा देने के बाद माकन ने कहा कि उन्होंने पार्टी के काम के लिए इस्तीफा दिया है।
वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल से अजय माकन के इस्तीफा दे देने से दिल्ली की राजनीति पर असर पड़ने की व्यापक संभावना जताई जा रही है। दिल्ली की राजनीति में दबदबा रखने वाले माकन को यहां पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विकल्प के तौर पर भी पेश किया जाता है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले माकन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और संगठन के लिए काम करने की बात कहने से सूबे के कांग्रेसी हल्कों में हलचल तेज हो गई है।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि माकन ने यह कहकर केंद्रीय मंत्रिमंडल पद छोड़ा है कि अब वह पार्टी संगठन के लिए काम करेंगे। ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे हैं कि उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अथवा कांग्रेस महासचिव बनाया जा सकता है और दिल्ली का प्रभार भी उन्हें सौंपा जा सकता है। ऐसा होने पर सूबे के कांग्रेसी राजनीति में उबाल आना लाजमी माना जा रहा है। वजह यह है कि मुख्यमंत्री दीक्षित से उनके रिश्ते मधुर नहीं रहे हैं और प्रदेश अध्यक्ष या दिल्ली के प्रभारी का पद माकन को दिए जाने पर दोनों नेताओं के बीच सियासत और तेज हो सकती है।
महत्वपूर्ण यह है कि हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री दीक्षित प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल और दिल्ली के प्रभारी महासचिव चौधरी वीरेंद्र सिंह से बुलाकर बातचीत की थी। तब कयास ये लगाए जा रहे थे कि प्रदेश अध्यक्ष अग्रवाल अथवा प्रभारी महासचिव चौधरी वीरेंद्र सिंह को उनके पद से हटाया जा सकता है। सनद रहे कि इन तीनों ही नेताओं में बहुत बढि़यां रिश्ता नहीं है। खासकर अग्रवाल और सिंह के बीच। सियासी लड़ाई लगातार होती रही है। इसीलिए यह माना जा रहा है कि इस्तीफा देने के बाद माकन को इन दोनों में से काई पद दिया जा सकता है।
आपको बता देने कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है अब तक यह माना जा रहा था कि कांग्रेस मुख्यमंत्री दीक्षित की अगुवाई में ही चुनाव लड़ेगी। यह भी स्पष्ट किया जा चुका था कि जय प्रकाश अग्रवाल प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहेंगे। लेकिन माकन के अचानक इस्तीफा दे देने के बाद समूचा राजनीतिक गणित बदलता हुआ मालूम पड़ रहा है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि पार्टी में माकन को जिम्मेदारी कौन सी दी जाती हैं।