नई दिल्ली। भाजपा के राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के तहत छह वर्षो के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जेठमलानी पर पार्टी विरोधी काम करने का आरोप पहली बार नहीं लगा है, बल्कि वह समय-समय पर भाजपा को असहज करते रहे हैं।
राम जेठमलानी अपनी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ पहले भी कई बार नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर उनके समर्थन में जेठमलानी काफी मुखर रहे हैं। सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति के मसले पर बयान देकर जेठमलानी अपनी ही पार्टी के लिए गले की फांस बन गए थे।
पिछले साल 25 नवंबर को भी राम जेठमलानी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। यह निलंबन राम जेठमलानी के उस बयान के बाद किया गया था, जिसमें उन्होंने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को जायज ठहराया था। इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई करने की चुनौती तक दे डाली थी।
जेठमलानी ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति की आलोचना करने के लिए अपनी ही पार्टी पर हमला बोला था। इस वरिष्ठ वकील ने पूर्ति समूह में वित्तीय अनियमितता के मामले सामने आने के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकारी पर भी निशाना साधा था।