राजेश बैरागी । नोएडा फेज दो के इलाहाबांस गांव में रहने वाली तीन महिलाएं दोपहर से ही पंडाल में आकर बैठ गईं। तीनों गरीबी की रेखा से बंधीं। बागेश्वर धाम फेम पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दर्शन से भाग्य बदल जाने की आशा लेकर आयी थीं परन्तु गर्मी और प्यास ने हाल बेहाल कर रखा था। स्थान छोड़ नहीं सकती थीं और खरीद कर पानी पीने की क्षमता नहीं थी।
ऐसा ही आयोजकों के बीच हुआ। कथा की बुकिंग जिसने की, उसके लिए कथा का प्रबंध करना संभव नहीं था। उसने हिस्सेदार बनाए, उन्होंने कथा पर कब्जा कर लिया।अब वह अंधेरे बंद कमरे में मीडियाकर्मियों को साक्षात्कार देकर अपने घावों को सहला रहा है।कथा रविवार को संपन्न हो जाएगी परन्तु कथा के आयोजन को लेकर हिस्सेदारी और दावेदारी का झगड़ा लंबा चलेगा।
बाबा की कथा बहुत रोचक होती है। उन्होंने कह दिया कि बिना मांग में सिंदूर भरे, बिना मंगलसूत्र पहने महिला ‘खाली प्लाट’ सरीखी लगती है। मैं उनकी नीयत पर नहीं भाषा पर विचार कर रहा हूं। अच्छा कथा व्यास संभवतः ऐसा कहता,’बिना सुहाग चिह्न के स्त्री अन्य पुरुषों की कुदृष्टि का शिकार हो सकती है’। हालांकि उन्हें न कथा में और न भाषा में, मेरे किसी निर्देशन की आवश्यकता है।
भागवत में कृष्ण चरित्र की मनोहर झांकी देखने को मिलती है।पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इस झांकी को साकार करने में सफल हैं। उनकी हर बात पर भक्त झूमते हैं, नृत्य करते हैं। जितनी देर कथा चलती है,उतने समय भक्त उनके मोहपाश में रहते हैं। एक सफल कथाव्यास को और क्या चाहिए।