राजेश बैरागी । तबादला महीने (जून) के आखिरी दिन गौतमबुद्धनगर की हर दृष्टि से विशेष तीनों अथॉरिटीज नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा में अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक तबादलों की बरसात हुई।जिनका तबादला तय था और जिनके भाग्य में जाना ही लिखा था,वे चले गए।
दरअसल जब से यह अंतर प्राधिकरण स्थानांतरण नीति लागू हुई है,तब से इन तीन प्राधिकरणों से तबादले का अर्थ केवल यूपीसीडा या पूर्वांचल के प्राधिकरणों में जाने से है।जो वहां से आ रहे हैं,वे तो कब से प्रतीक्षारत थे।शेष नोएडा ग्रेटर नोएडा और यीडा में ही स्वयं को स्थानांतरित करा लेते हैं और नीति का पालन हो जाता है। परंतु इस बार कुछ अधिकारियों ने तबादला प्रक्रिया में अपने दम और खम का प्रदर्शन किया है।
ग्रेटर नोएडा से नोएडा, नोएडा से यूपीसीडा, वहां से यीडा होते हुए मात्र दो वर्ष में नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक सिविल पद पर आसीन होने वाले अधिकारी को क्या शासन ने स्थानांतरित किया है? क्या उन्हें इस स्थानांतरण नीति का पालन करते हुए भेजा गया है?
नियोजन विभाग में स्थानांतरित अधिकारी भी थोड़ा बहुत इधर उधर घूम कर वापस नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में आ पहुंचे हैं। इस प्रकार के स्थानांतरण किये नहीं जाते, लिये जाते हैं। कई दागी अधिकारियों को फिर नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई है।
ऐसे अधिकारी राज्य की धरोहर हैं। उन्हें यूपीसीडा या पूर्वांचल के प्राधिकरणों में धूल फांकने के लिए कैसे छोड़ा जा सकता है।शासन की मंशा को समझने वाले सुधीजन इसीलिए मुंह पर ताला लगाए पूर्वांचल की गाड़ी पकड़ने के लिए चल पड़े हैं।