कुछ खोकर पाना है कुछ पाकर खोना जीवन का मतलब तो आना और जाना है । भारी बारिश के बीच कार में गाने के बीच एक घंटी बजी और दूसरी तरफ से एक आवाज आई आशु क्या आज आप आ रहे है । मैने कहा, हां डॉक्टर साहब मैं आपसे मिलने आ रहा हूं । शाम 6:00 बजे बारिश के बावजूद में डॉक्टर अशोक श्रीवास्तव से क्लब 26 में मिलने पहुंचता हूं वहां अपनी संस्था नवरत्न फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे एक फिजियोथैरेपी केंद्र और कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर पर अपनी टीम को कुछ निर्देश दे रहे हैं। मैं 5 मिनट वेट करता हूं,उसके बाद डॉ अशोक श्रीवास्तव मेरा स्वागत करते है ।
क्लब 26 जैसी व्यवसायिक जगह में भी समाज सेवा के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर देना आसान काम नहीं है मैं डॉक्टर अशोक श्रीवास्तव को सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए बधाई देता हूं । अपने कंप्यूटर सेंटर में डॉक्टर अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि इस तरीके के प्रयासों में हमें गरीब घर की महिलाएं बच्चे मिलते हैं लेकिन इस सेंटर पर हमारे पास 85 साल की माताजी ने जब कंप्यूटर पर हाथ रखा तो ऐसा लगा जैसे जीवन सफल हो गया । बात करते-करते हम क्लब 26 के डायनिंग हॉल में आ जाते हैं कॉफी के साथ मैं डॉ अशोक श्रीवास्तव के जीवन को कुरेदेना चाहता हूं, हंसते हुए चेहरे के पीछे की कहानी को सहेजना चाहता हूं । वो जानना चाहता हूं जो अक्सर कहीं नहीं बोला लिखा जाता है ।
दिल्ली में जन्मा पर नोएडा ने दिया असली जन्म
काफी की चुस्कियों के बीच एक हल्की सी मुस्कान लिए अशोक श्रीवास्तव अपने जीवन के पुराने पन्ने पलटते हैं याद करते हुए कहते हैं कि उनके पिताजी क्लास वन ऑफिसर रहे थे ऐसे में समाज सेवा उनके जीवन का एक अंग था । वहीं से प्रेरणा युवा अशोक को मिली कॉलेज के समय कुछ कार्य किए ।
पिताजी इंजीनियर बनाना चाहते थे, एमएलएनआर में ना जाने के बाद सेल्स में कुछ साल नौकरी की, इसी बीच प्रीति श्रीवास्तव से शादी भी हुई । इसके बाद 1988 में नोएडा में इनवर्टर बनाने का PFem power system नाम से इनवर्टर का अपना वायवसाय शुरू किया । व्यवसाय चल निकला और जिंदगी पटरी पर आ गई । बी एच ई एल में वाटर सप्लाई के दौरान उनकी मुलाकात नोएडा में समाजसेवी एमजी भटनागर से हुई जिन्होंने उन्हें व्यवसाय में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ।
व्यवसाय में दिन-प्रतिदिन तरक्की के नए आयाम लिख रहे अशोक श्रीवास्तव को शहर में कायस्थ समाज की संस्था नोएडा चित्रगुप्त सभा से जुड़ने का मौका मिला और इसके साथ ही उनको 2007 में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया । जहां अध्यक्ष कैलाशनाथ सारंग के साथ मिलकर मनाएं समाज के लिए कई कार्य किए।
पिता की प्रेरणा से जो समाज सेवा युवावस्था में शुरू हुई थी उसे व्यवसाय स्थिर हो जाने के बाद एक नया ठिकाना मिल गया और अशोक श्रीवास्तव बिज़नस और समाज सेवा दोनों में ध्यान देने लगे। पिता के देहांत के कारण उपजा एकाकी पन शायद उनके सपनों को दिशा देकर ही भरा जा सकता था
अशोक श्रीवास्तव का सरल और सेवा का स्वभाव जब समाज सेवा की तरफ बढ़ने लगा तो व्यापार की तरफ कुछ ध्यान कम हुआ और बिजनेस में लगातार ध्यान ना देने की वजह से नुकसान होने लगा एक समय ऐसा आया जब 80 लाख रुपए से ज्यादा का अमाउंट लोगों के पास फंस गया व्यापार में हुए घाटे से परेशान अशोक को उनके एक मित्र सुनील पूरी ने सुझाव दिया कि जिस स्थिति में अब आप आ गए हो उसमें उबारना बहुत मुश्किल है और जो आपका स्वभाव है वह लोगों को नई दिशा देने के लिए बना है ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि आप समाज सेवा को अपना उद्देश्य बनाओ।
बिजनेस की असफलता ने दिया जन्म नोएडा की आवाज को
बिजनेस की असफलता और पत्नी के समर्थन के बाद अशोक श्रीवास्तव ने नवरत्न फाउंडेशन की स्थापना की और लोगों के साथ मिलकर गरीब और समाज के वंचित वर्गों को आगे लाने की कोशिश शुरू करी । नवरत्न फाउंडेशन के जरिए धीरे-धीरे लोगों तक अशोक श्रीवास्तव की बातें पहुंचने लगी और उन्हें नोएडा की आवाज कहीं जाने लगा ।
सफलता से असफलता और फायरप्स से सफलता की कहानी के बीच अशोक श्रीवास्तव की आंखें नम हो जाती हैं कहते हैं जीवन के उस दौर में जब आप मायूस बैठे होते हो अक्सर ऐसा लगता है कि सब समाप्त हो गया लेकिन सही दिशा आपको नई राह दिखा देती है ।
नवरत्न फाउंडेशन के जरिए समाज में मिली बड़ी पहचान
नवरत्न फाउंडेशन से नई प्रतिभाओं को आगे लाने और बच्चों और महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर और कंप्यूटर शिक्षा के कार्यक्रम चलाने के कार्यक्रम चलाए जाते है । बीते 21 सालों में नवरत्न फाउंडेशंस ने 35 सिलाई सेंटर, जयपुर महिला शिक्षण केंद्र एक फिजियोथैरेपी सेंटर, एक आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की निशुल्क शिक्षा के लिए नवरत्न ज्ञानपीठ और 8 कंप्यूटर सेंटर स्थापित किए है । उससे भी बड़ी बात ये है यह सभी सेंटर स्थापना के बाद से लगातार चल रहे हैं नवरत्न फाउंडेशन समाज की अनदेखी प्रतिभाओं को सांस्कृतिक मंच देने के लिए भी प्रतिबद्ध है और बीते सालों में कई ऐसी प्रतिभाओं को बचपन से उन्होंने आगे लाने का प्रयास किया है जिसमें दिवाकर और श्रेया बसु का नाम प्रमुख रूप से सामने आता है इनके अलावा भी कई ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनको नवरत्न ने मंच दिया और आज वह पूरे देश में अपना अपनी पहचान बनाए हुए हैं । कोरोना महामारी के दौरान बीते 3 वर्षों में नवरत्न फाउंडेशन में हजारों लोगों को सरकार के कार्यक्रमों के साथ मिलकर खाना उपलब्ध कराया । डॉ अशोक श्रीवास्तव ने हीं नोएडा की लगभग 100 से ज्यादा एनजीओ को एक साथ लाकर नोएडा में समाज सेवा को एक नया आयाम दिया । नोएडा की सभी समाजसेवी संस्थाओं के संयुक्त व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन भी डा अशोक श्रीवास्तव है ।
दयारानी मेंटल वेलनेस से करेंगे समाज को मानसिक दबाव से मुक्त
बीते 3 वर्षों में कोरोना महामारी ने आम आदमी के दिल और दिमाग पर भयंकर असर डाला है उसका असर धीरे-धीरे सामने आ रहा है । शहर में अवसाद आत्महत्याओं का दौर बढ़ रहा है यही वह समय है जब समाज को चेतना है अभी से अपने वर्तमान पीढ़ी के साथ अगली पीढ़ी पर इसका असर देखने को मिल रहा है ऐसे में किस तरीके से मानसिक दबाव और मानसून असंतुलन से लोगों को उभार कर उनमें व्याप्त भय को दूर कर जिंदगी को खुशनुमा बनाया जाए इसी सबको सोचकर नवरत्न फाउंडेशन में एक प्रकल्प का प्रारंभ किया है जिसको दयारानी मेंटल वैलनेस का नाम दिया है जिसमें दयारानी वैलनेस एडवाइजरी के साथ लोगों को विशेष मानसिक परिस्थितियों पर विभिन्न पहलुओं पर काम कर उन से उबारने का कार्य करेंगे इसकी शुरुआत हो चुकी है और इसके लिए नवरत्न फाउंडेशन के ट्रस्टी श्रीमती प्रीति श्रीवास्तव ने पहल की है
कॉफी खत्म होने को है और डा अशोक श्रीवास्तव हंसते हुए कहते हैं कि उनके जीवन में सफलता और असफलता के दौर के बीच परिवार के अलावा जिस जिस का भी बहुमूल्य सहयोग मिला है वह उसके सदा आभारी हैं और रहेंगे । नवरत्न फाउंडेशन के दानदाताओं को भी बारंबार प्रणाम है उनकी इसी आशा और पूर्ण प्रतिबद्धता के निर्वहन के आश्वासन के साथ मेरी कार अगले घटनाक्रम के लिए आगे बढ़ जाती है