शैलेंद्र वर्णवाल। हिमाचल और कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद बीजेपी को विपक्ष की रणनीति समझ में नहीं आ रही l उसका हर दांव उल्टा पड़ रहा है । दिल्ली एमसीडी में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा । इसलिए विपक्ष को चित करने के लिए 2000 के नोट वापसी का बीजेपी ने पुराना दांव खेला है ।
यह सर्वविदित है कि नोटबंदी से ना तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और ना ही आतंकवाद कम हुआ । नोटबंदी के पीछे बीजेपी की एकमात्र योजना थी कि विपक्ष के काले धन को समाप्त करना ।
आम जनता एवं विपक्ष को यह बात घोषणा के बाद मालूम चला वह अपने काला धन को समायोजित नहीं कर पाया उन्हें बड़े पैमाने पर बिजनेस एवं उद्योग धंधे में हानि हुई । कई व्यापार एवं रोजगार धंधे बंद हो गए । कितनों की जाने भी चली गई l, काम धाम छोड़कर अपने ही पैसों के लिए बैंक की बड़ी-बड़ी लाइन में दिन दिन भर लगे रहना मायूस होकर बाहर निकलना आदि को जनता भूल ही नहीं है । मीडिया एवं आईटी सेल प्रायोजित हिंदू मुस्लिम पाकिस्तान गद्दार आदि प्रोपेगेंडा में जनता भ्रमित हो गई ।
भारत के सभी चुनाव में यह कटु सत्य है कि इसमें काला धन का भरपूर प्रयोग होता है जिसमें वोटर को रिझाने लुभाने के साथ-साथ शासन-प्रशासन, मीडिया गुंडे बूथ कैपचरिंग दारु मुर्गा बटवाने आदि के अलावा वोट के सौदागरों ( जाति ठेकेदार धार्मिक ठेकेदार मजहबी ठेकेदार को ) संतुष्ट करने में बड़े पैमाने पर काला धन की आवश्यकता होती है ।
नोटबंदी के बाद सिर्फ बीजेपी के पास ही काला धन पूरे भारत में था इसीलिए वह उन दिनों उस काला धन का प्रयोग कर लगातार चुनाव दर चुनाव जीती चली आई l।मीडिया सोशल मीडिया आईटी सेल अलावा राजनीतिक धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में जबरदस्त काले धन का प्रयोग किया और भीड़ जुटाई गई ।
कृत्रिम समर्थक जुटाए गए उनसे मीडिया वाइट लेती थी ।
जनता परेशानियों दुखों महंगाई बेरोजगारी एवं काम धंधे ठप होने के कारण त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है l।जनता की परेशानियों उसके मुद्दों को कोई मीडिया दिखाने को तैयार नहीं ।
जब जनता ने देखा कि गरीब परिवार में जन्मे प्रधानमंत्री ने आम जनता की परवाह करना छोड़ दी और खुद अपने राजसी ठाठ बाट एवं फोटो की राजनीति में लग गए, तो जनता का विश्वास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कम होने लगा,जनता संगठित होकर इनके खिलाफ वोट करने लगे । परिणाम स्वरूप बीजेपी का अब लगातार पराभव हो रहा है,राज्य दर राज्य हारते चले जा रहे हैं
2000 का नोट वापस लेना बीजेपी की वही पुरानी सोच की पुनरावृति है कि इससे पुनः विपक्ष का काला धन खत्म हो जाएगा ।
लेकिन बीजेपी को अब समझ लेना चाहिए की जनता उनके कारनामे जान चुकी है l जनता को मालूम चल चुका है कि इन 9 सालों में बीजेपी एवं इनके समर्थक संगठन के छोटे से बड़ा नेता ना सिर्फ घमंडी और भ्रष्टाचारी बन चुके हैं बल्कि भोग विलास के आदी हो चुके हैं l
सत्ता तो अहंकार भ्रष्टाचार एवं विलासिता लाती है बीजेपी भी इन सब चीजों से ग्रसित हो चुकी है इसलिए बीजेपी का लगातार हार शुरू हो गया है l
जनता जग चुकी है वह मीडिया और सोशल मीडिया के फोटोग्राफी और कुतर्क वाली रिपोर्टिंग के प्रभाव में नहीं आने वाली l जनता अपने कष्टों का निवारण चाहती है l
इसीलिए जनता समय-समय पर सत्ता परिवर्तित करती है, और शासक के दिमाग को दुरुस्त करती है l
नोटबंदी से सिर्फ डिजिटल लेन देन बढ़ा जो टैक्स के दायरे में आ गई और सरकार का खजाना भरा l टेक्स के पैसों का कई बार सांसद मंत्रियो एवं प्रधानमंत्री के अनावश्यक रैलियां एवं भ्रमण पर खर्च किए गए l
लेखक सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतक है