कोरोना के बदतर होते हालात और नेताओ के चुनाव में मस्त रहने से सरकार के खिलाफ खड़ा हो रहा है जनमानस, शहर की सोसाइटी में होने वाले टेस्ट पर भी उठ रहे सवाल
देश में सभी सरकारी लगभग कोरोना की वर्तमान स्थिति से निबटने में नाकाम दिखाई से रही है। कोरोना की रोकथाम को लेकर उठाने जाने वाले कदमों की जगह नेताओ का चुनाव पर ध्यान देना भी जनमानस में लगातार सरकारों के खिलाफ गुस्सा पैदा कर रहा है । वही सामाजिक संस्थाओं के जरिए लग रहे टेस्ट कैंप भी सवाल खड़े कर रहे है।

लखनऊ, साहरनपुर, कानपुर, बनारस, गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों में भी जनता सरकारी कर्मचारियों को लापरवाही और सत्ता रूढ़ भाजपा के नेताओं के चुनावो में लगे रहने से बहुत खफा है ।
गौतम बुध नगर तो ये स्थिति और भी ज्यादा खराब होती जा रही है।उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला ये शहर नोएडा ग्रेटर नोएडा ग्रेटर नोएडा वेस्ट और यमुना एक्सप्रेस वे को समेटे हुए है। तीन तीन अथॉरिटी इनके लिए बनाई थी मगर कोरोना के समय में पुलिस प्रशासन और तीनों अथार्टी जनता के लिए समुचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रही है ऐसे में लोगों की अपेक्षाएं भाजपा के सत्तारूढ़ नेताओं से बढ़ रही हैं लेकिन वहां से भी मायूसी ही हाथ लग रही है
जिले मैं भाजपा से इस समय दो सांसद तीन विधायक दो दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री है दिन में लोकसभा सांसद डॉ महेश शर्मा स्वयं डॉक्टर है और कई अस्पतालों के मालिक है। राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नगर, दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री कैप्टन विकास गुप्ता और श्री चंद शर्मा और तीन विधायक नोएडा से पंकज सिंह दादरी से तेजपाल नागर और जेवर से धीरेंद्र सिंह हैं।
इतने सब के बावजूद शहर के अस्पतालों में लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं जिनको बेड मिल गए हैं उनको जरूरी इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं और ऐसे समय में सभी नेता जिले में हो रहे पंचायत चुनाव में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जनता लगातार अपनी परेशानी पर इन नेताओं को ट्वीट करके मदद मांग रहे हैं मगर कितनों की मदद हो पा रही है यह सवाल सबके सामने खड़ा है

ऐसे ऐसे में लगातार शहरी जनमानस में पहली बार अपने सांसद विधायकों और जनप्रतिनिधियों के लिए विद्रोह का भाव उत्पन्न हो रहा है लोग स्पष्ट कह रहे हैं कि सांसदों और विधायकों को अपनी राजनीति के अलावा और कुछ नहीं दिख रहा है तो संगठन के लोगो को भी सिर्फ चुनाव ही दिख रहा है भाजपा के भी कई कार्यकर्ताओं ने चुनाव से दूरी बनानी शुरू कर दी है
भाजपा के एक कार्यकर्ता ने आक्रोशित होते हुए कहा कि अगर सच में मेरे 4 अस्पताल शहर में चल रहे होते यह मेरी कंपनियां चल रही होती है या मैं सत्तारूढ़ दल के प्रभावशाली नेताओं में होता तो ऐसे समय में गरीब जनता के लिए अपने हॉस्पिटल्स और अपने संसाधनों के द्वार खोल देता मगर हमारे नेता सिर्फ पब्लिसिटी वाली जगह पर मौका नहीं छोड़ रहे हैं आम भाजपा कार्यकर्ता भी अपने परिवार के लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट कराने में सक्षम नहीं हो पा रहा है ऐसे में आम जनता की शिकायतें तो हमसे होनी स्वाभाविक है

हालत यह है किस शहर में ना स्वास्थ्य केंद्रों पर समुचित सुविधाएं हैं ना ही कोरोना टेस्ट की सुविधाएं पूरी तरीके से संभव हो पा रहे हैं प्रशासन की लापरवाही इस कदर है की जिस सोसाइटी में 200 लोगों के कोरोना टेस्ट के लिए पंजीकरण हुए हैं वहां 60 से 70 किट भेजी जा रही हैं। एक सोसाइटी से प्राप्त सूचना के अनुसार एक व्यक्ति ने कैंप के आयोजको से कहा कि उसको पूरा विश्वास है कि उसको कोरोना है इसलिए उसका टेस्ट उसके घर आकर कर दें तो इन कैंप वालो ने उसे प्राइवेट लैब से टेस्ट कराने को कह दिया।
ग्रेनो वेस्ट की एक सोसाइटी ला रेसिडेंसियां में तो अलग ही घटना घटित हुई।

सोशल मीडिया पर आए जानकारी के अनुसार जिस सामाजिक संस्था के जरिए यह करोना टेस्ट किए जा रहे थे उस टीम को लाने वाले ड्राइवर का ही टेस्ट पॉजिटिव आ गया । जिसके बाद आनन-फानन में उस कैंप को बंद किया गया लेकिन प्रशासन के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं है कि आखिर प्रशासनिक अमले के अलावा कोई भी एक आदमी अपने नाम से यह कैंप किस तरीके से लगवा रहा है। कई सोसाइटी के मेंटिनेंस विभाग ने इसे इल्लीगल बताते हुए अपने यज्ञ इसको अनुमति भी नही दी और कमाल की बात यह है कि भाजपा दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री इन कैंप की लिस्ट को सोशल मीडिया में आगे फॉरवर्ड कर दे रहे हैं तो अंत में कुल मिलाकर जनता के सामने सब कुछ बस श्रीराम भरोसे है।