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मां अन्नपूर्णा अष्टमी उत्सव पूजा, व्रत कथा एवं महत्व

देवी अन्नपूर्णा को पोषण का देवी माना जाता है। अन्न शब्द अनाज या भोजन को दर्शाता है और पूर्ण का अर्थ संस्कृत में सम्पूर्ण या व्याप्त है। देवी अन्नपूर्णा देवी पार्वती का अवतार हैं। अन्नधान (भोजन) की पूजा और भोजन की पेशकश हिंदू धर्म में बहुत सम्मानित और श्रद्धेय है और इसलिए अन्नपूर्णा पूजा हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है।


भक्त देवी की पूजा करने के लिए अन्नपूर्णा सहस्रनाम का जप करते हैं और अन्नपूर्णा शतनाम स्तोत्रम का जप करते हुए उनके 108 नामों को भी पढ़ते हैं।


धार्मिक त्यौहार नवरात्रि के आठवें दिन (अष्टमी) पर अन्नपूर्णा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है और बहुत से भक्त इस विशेष दिन अपने उपवास तोड़ते हैं।
देवी को प्रसन्न करने के लिए, भक्त पूरी, हलवा और काले चने का एक भोग (पवित्र भोजन) तैयार करते हैं और देवी का आशीर्वाद पाते हैं।

अन्नपूर्णा अष्टमी की कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती को बताया था कि ब्रह्मांड में सबकुछ मिथ्या है यानी माया और भोजन उनमें से एक है। देवी पार्वती जिसे भोजन समेत सभी भौतिकवादी चीजों की देवी के रूप में जाना जाता है, गुस्सा हो गईं।
भौतिकवादी चीजों के वास्तविक महत्व और अहमियतता को दर्शाने के लिए, देवी ब्रह्मांड से गायब हो गईं। उनके गायब होने के परिणामस्वरूप सबकुछ स्थिर हो गया और पूरी धरती बंजर हो गई। सभी प्राणी भूख से पीड़ित होने लगे क्योंकि कहीं भी भोजन उपलब्ध नहीं था। सभी पीड़ाओं और दर्द को देखकर, देवी पार्वती काशी में अवतारित हुई और एक रसोईघर स्थापित किया।


देवी की वापसी के बारे में जानकर, भगवान शिव ने अपनी बातों को दोहराया और कहा कि उन्होंने भौतिक संसार के महत्व को महसूस किया है, यह एक ऐसी भावना है जिसे किसी मिथ्या या भ्रम की तरह अनदेखा नहीं किया जा सकता है। देवी पार्वती ने मुस्कुराया और भगवान शिव को अपने हाथों से खिलाया। उस समय के बाद से, देवी पार्वती की देवी अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा की जाती है और पोषण की देवी को खुश करने के लिए एक भव्य अन्नपूर्णा पूजा की जाती है।

विक्रम संवत 2077 शके 1942 उत्तरायन, उत्तरगोल, वसंत ऋतु फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी 09 घंटे 41 मिनट तक, तत्पश्चात् नवमी आद्रा नक्षत्र 21 घंटे 28 मिनट तक, तत्पश्चात् पुनर्वसु नक्षत्र सौभाग्य योग 12 घंटे 55 मिनट तक, तत्पश्चात् शोभन योग मिथुन में चंद्रमा।

सूर्योदय और सूर्यास्त


आज के दिन सूर्योदय प्रात:काल 06 बजकर 23 मिनट पर हुआ है, वहीं सूर्यास्त शाम को ठीक 06 बजकर 33 मिनट पर होगा।
चंद्रोदय और चंद्रास्त
आज का चंद्रोदय दोपहर 12 बजकर 02 मिनट पर होगा। चंद्र का अस्त आज देर रात 02 बजकर 33 मिनट पर होगा।
आज का शुभ समय
अभिजित मुहूर्त: आज दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।

रवि योग: रात 09 बजकर 28 मिनट से 23 मार्च के प्रात: 06 बजकर 22 मिनट तक।
अमृत काल: आज सुबह 10 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से दोपहर 03 बजकर 19 मिनट तक।
आज फाल्गुन शुक्ल अष्टमी है। आज सोमवार के दिन शिव चालीसा, शिव पुराण, शिव मन्त्रों का जाप करना अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। आज आप कोई नया कार्य करना चाहते हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।

श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी |
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 1 ||
नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमान विलसत् वक्षोजकुम्भान्तरी |
काश्मीरागरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 2 ||

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी |
सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 3 ||
कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी |
मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 4 ||

दृश्यादृश्य विभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी |
श्रीविश्वेशमनः प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 5 ||
आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी
काश्मीरा त्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी |
कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 6 ||
उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताऽन्नपूर्णेश्वरी
वेणीनीलसमानकुन्तलधरी नित्यान्नदानेश्वरी |
सर्वानन्दकरी सदाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 7 ||

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी
वामे स्वादुपयोधरा प्रियकरी सौभाग्य माहेश्वरी |
भक्ताभीष्टकरी सदाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 8 ||
चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुण्डलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी |
मालापुस्तकपाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी || 9 ||
क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी
साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी |
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ||10|
अन्नपूर्णे सदापूर्णे
शङ्करप्राणवल्लभे |
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं
भिक्षां देहि च पार्वति || 11 ||
माता च पार्वती देवी
पिता देवो महेश्वरः |
बान्धवाः शिवभक्ताश्च
स्वदेशो भुवनत्रयम् || 12 ||

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?

माता अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है.
प्रातः काल और संध्या काल का समय अन्नपूर्णा देवी स्तोत्रम् के पाठ के लिए उत्तम होता है.
सर्व प्रथम स्नान आदि करके खुद को स्वच्छ और पवित्र कर लें.
गंगाजल को खुद पर छिडके.
उसके पश्चात किसी स्वच्छ आसन पर बैठें.
अपने सम्मुख माता अन्नपूर्णा की मूर्ती या तस्वीर किसी आसन पर स्थापित करें.
उसके पश्चात माता अन्नपूर्णा की पूजा करें.
माता अन्नपूर्णा को अक्षत, पुष्प,सिंदूर,चन्दन आदि चढ़ाएं.
उसके पश्चात माता को धुप दीप दिखाएँ.
फिर एकाग्र चित होकर माता अन्नपूर्णा स्तोत्रम् का पाठ करें.
पाठ करने के पश्चात माता अन्नपूर्णा की आरती करें.

श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् के पाठ से लाभ

श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् के पाठ से माता की कृपा प्राप्ति होती है.
माता अन्नपूर्णा की कृपा से दुःख और दारिद्र्य दूर होती है.
जिस पर माता अन्नपूर्णा की कृपा रहती है उसे कभी भी दरिद्रता नहीं होती है.
माता अन्नपूर्णा की कृपा से मनुष्य को धन धान्य की प्राप्ति होती है.
माता की कृपा से मनुष्य को कभी भी अन्न अर्थात भोजन की कमी नहीं होती है.

रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद

NCRKhabar Mobile Desk

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