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किसान आंदोलन बना जाट आंदोलन : क्या राकेश टिकैत के आंसुओं और नंदकिशोर गुर्जर की जल्दबाजी ने पलट दी सरकार की बाजी

गुरुवार की शाम 5:30 बजे जब लगातार पुलिस बल बढ़ता जा रहा था 26 जनवरी पर किसान आंदोलन में हुई हिंसा के कारण लगातार किसानों पर दबाव था कि वह इस आंदोलन को खत्म करें दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस गाजीपुर पहुंच चुकी थी उन्होंने राकेश टिकैत को जगह खाली करने के लिए नोटिस भी दिए

उस समय तक कब आ रही खबरों के अनुसार राकेश टिकैत सरेंडर करने की पोजीशन में आ भी गए थे लगातार मीडिया जमा होता जा रहा था और इसी बीच एक ऐसी घटना हुई जिसने इस पूरे परिदृश्य को बदल दिया बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत 26 जनवरी के दिन से ही उत्तराखंड से आए किसानों द्वारा उनके आदेश ना मानने की घटना से दुखी थे उनके साथ किसान आंदोलन को कवर कर रहे हमारे एक सहयोगी पत्रकार के अनुसार उत्तराखंड के किसानों द्वारा राकेश टिकैत को लगभग अपना नेता ना मानने की हरकत राकेश टिकैत को बहुत नागवार गुजर रही थी ऊपर से लाल किले पर हुए धार्मिक झंडे को फहराने की घटना ने भी राकेश टिकैत को बहुत धक्का दिया ऐसे में लगातार साथी संगठनों के पीछे हटने के बाद राकेश टिकैत भी इस सोच पर आ चुके थे कि वो सरेंडर कर देंगे

खुफिया एजेंसियों का इनपुट भी सरकार को यहीं मिल रहा था और सरकार दबाव बनाती जा रही थी मगर तभी लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर अपने तीन 400 समर्थकों के साथ गाजीपुर पहुंच गए जिसके बाद 2 दिन का दर्द अचानक एक मीडिया चैनल से बातचीत में राकेश टिकैत की रुंधी आवाज में छलक गया अब इसे राजनीतिक प्रपंच चाहिए या अपने साथ बैठे किसानों की सुरक्षा को लेकर घबराहट मगर वह आंसुओं ने राकेश टिकैत को छोड़कर गए जाटों को उद्देलित कर दिया ।

अचानक बल बदलते परिदृश्य में राकेश टिकैत को समझ आ गया कि यह एक और आखरी बाजी खेली जा सकती है उन्होंने नंदकिशोर गुर्जर को संबोधित करते हुए वहां शोर मचाया कि भाजपा का विधायक मुझे याद दिखाई दिया है और इसी बीच एक आदमी को आंदोलन स्थल पर पकड़ लिया गया जिसको भाजपा का कार्यकर्ता भी बताया गया जिसके बाद राकेश टिकैत ने फौरन ही इस बात की घोषणा कर दी कि सरकार ने मेरा पानी बंद कर दिया और जब तक मेरे गांव के लोग पानी लेकर नहीं आएंगे मैं पानी नहीं पी लूंगा इसके फौरन बाद यह वीडियो जब मुजफ्फरनगर पहुंचा तो वहां पर लोगों ने उनके भाई नरेश टिकैत को आंदोलन को दोबारा जीवित करने को कहा और वह नरेश ठीक है जो महज कुछ घंटे पहले लगातार यह कह रहे थे कि हम इसे वापस कर लेंगे उन्होंने फिर घोषणा की कि किसान आंदोलन जारी रहेगा राकेश टिकैत की आत्महत्या की धमकी जाटों के लिए काम कर गई और मुजफ्फरनगर से रात को ही तमाम लोगों ने अपने बोरिया बिस्तर दोबारा से बांधना शुरू कर दिया वस्तुत यह आंदोलन किसान आंदोलन से ज्यादा चौधरी की नाक बचाने का आंदोलन ज्यादा बन गया और उसका परिणाम सुबह तक सरकार को समझ में आ गया है

भाजपा को नंदकिशोर गुर्जर के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ होने की गलती का जब तक एहसास हुआ और जब तक लखनऊ से विधायक को फोन करके वापस करवाया गया तब तक इस आंदोलन में बहुत देर हो चुकी थी रात 11:00 बजे तक सरकार ने फैसला ले लिया था कि अब इस आंदोलन में फिलहाल राकेश टिकैत को गाजीपुर से नहीं हटाया जाएगा।

नंदकिशोर गुर्जर इसके बाद अभी तक 31 जनवरी को लोनी इंटर कालेज में महापंचायत की घोषणा की है । इसको मुजफ्फरनगर में जाटों की किसान महापंचायत का जवाब भी माना जा रहा है अब देखना यह बाकी रहेगा कि नंदकिशोर गुर्जर लोनी की महापंचायत के जरिए अपनी गलती को सही साबित कर पाएंगे या इसका नुकसान उनके साथ साथ भाजपा को भी होगा

NCRKhabar Mobile Desk

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