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ग्रेटर नोएडा हुआ 30 वर्ष का, 30 वर्षों के बाद भी जनता का दर्द वही है जानिए हमारी पड़ताल

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण आज 30 वर्ष का हो गया है जिसकी भव्य तैयारियां प्राधिकरण के कार्यालय को सजाया देखकर समझी जा सकते हैं सरकारी सूत्रों के अनुसार सुबह 10:00 बजे सिटी पार्क में बने ओपन जिम को खोला जाएगा इसके साथ ही स्वच्छ सोसाइटी को अभियान में विजेता की घोषणा होगी । लेकिन 30 साल होने पर एनसीआर खबर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण के सामने वो असलियत रखने जा रहा है जिस को सुनना आज के दिन शायद वह पसंद नहीं करेंगे । नोएडा में अधिकारियों के भ्रष्टाचार को लेकर जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह पहले भी तमाम आवाज उठा चुके हैं और उसके बाद लगभग 15 अधिकारी पर कार्यवाही भी हुई थी मगर शायद ही भ्रष्टाचार पर बहुत ज्यादा कोई फर्क पड़ा हो

30 साल बाद अगर आज ग्रेटर नोएडा में रह रहे लोगों की मूलभूत सुविधाओं का आकलन नोएडा के मुकाबले किया जाए तो यहां के निवासियों को मायूसी ही हाथ लगेगी । कभी नोएडा के विकल्प के तौर पर बनाया गया ग्रेटर नोएडा चौड़े गोल चौराहों और चौड़ी सड़कों के साथ इस सोच के साथ आया था यहां जनता को वह सभी सुविधाएं मिलेंगी जो नोएडा की प्लानिंग के समय रह गई थी लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के कार्य करने का तरीका कभी भी नोएडा अथॉरिटी की तरह प्रोफेशनल नहीं हो पाया एक तरफ नोएडा में जहां आज भी समान रूप से डेवलपमेंट सभी जगह दिखाई देता है ग्रेटर नोएडा में इसका अभाव है

ग्रेनोवेस्ट में रहने वाले एक समाजसेवी का कहना है ग्रेटर नोएडा में इसके सीईओ नरेंद्र भूषण लगातार घोषणा तो बहुत करते हैं मगर वह जमीन पर आते-आते अपना दम तोड़ देती है इसको आप ऐसे समझिए कि इस क्षेत्र में आज तक गंगा जल की आपूर्ति नहीं हो पाई है बरसों से इस कार्य का अंतिम चरण ही पूरा नहीं हो पा रहा है

शहर में सड़कों के हालात नोएडा के मुकाबले हमेशा बुरे रहे हैं नोएडा की तरह यहां सड़कें हर साल नहीं बनती हैं ऐसे में सड़कों पर गड्ढे यहां मामूली बात है इतने विकसित शहर का दावा होने के बावजूद यहां सड़कों के किनारे लाइट आपको सब जगह नहीं मिलेंगे मुख्य मार्गों के अलावा अन्य सड़कों पर रात को आप अंधेरे में ही चलेंगे

नोएडा ने कई साल से सभी चौराहों पर सार्वजनिक शौचालय बनवाए हैं लेकिन ग्रेटर नोएडा वेस्ट के अधिकारियों का ध्यान इस तरफ का भी नहीं गया है यह सब आज तक कागजों में बातें आती रही हैं लगातार इस को लेकर मीडिया में बयान दिए जाते रहे हैं और ग्रेटर नोएडा अधिकारियों के पसंदीदा समाजसेवी सोशल मीडिया पर उसको लेकर इनको बधाई देते रहें ।ग्रेनो वेस्ट वेलफेयर फाउंडेशन के संतोष सिंह ने इस बात को लेकर मांग भी की है कि नोएडा की भांति ग्रेटर नोएडा में भी जगह-जगह सामुदायिक सामुदायिक शौचालय और महिलाओं के लिए पिंक शौचालय होने चाहिए। यह सब सिर्फ सोशल मीडिया पर कहने से काम नहीं चलेगा

शहर के पश्चिम में बसे ग्रेटर नोएडा वेस्ट पर तो ग्रेटर नोएडा अधिकारियों की निजा निगाहें हमेशा सौतेले पिता की तरह होती हैं 10 साल बाद भी यहां सभी सोसाइटी यों को जोड़ने वाली सड़कें पूरी नहीं हो चुकी हैं तमाम जगह अधिग्रहण को लेकर समस्या है लोग टूटी हुई सड़कों से ही जाने को मजबूर हैं हालात इस कदर खराब है कि हिंडन को नोएडा से जोड़ने वाले राइस चौकी के बाद बने पुल पर भी आज तक लाइट नहीं लग पाई है जबकि नोएडा ने अपने हिस्से का काम पूरा कर दिया है । हां इस पर लाइट को लेकर अथॉरिटी ने अपने प्रिय समाजसेवियों के जरिए वाहवाही जरूर करवा ली है

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 2 और सेक्टर 3 के लोगों को 10 साल बाद भी आज तक सड़कें और जरूरी सुविधाएं नहीं मिली है लेकिन उन पर मकान बनाने के लिए पेनल्टी लगातार लगती रही है । यहां प्लॉट ले चुके एक व्यक्ति का कहना है कि हम मकान बना भी लें तो बिना सुविधाओं के सेक्टर 3 में किस तरीके से रहेंगे

ग्रेटर नोएडा में लगाए जाने वाले पेड़ों का भी हाल अथॉरिटी की तरफ से नकारात्मक रहता है यह पेड़ हर साल लगाए जाते हैं और 2 महीने बाद सूख जाते हैं और इनके ऊपर लगाए गए जाल यहां से कबाडी उठाकर ले जाते हैं जिसके बाद अगले साल ग्रेटर नोएडा के अधिकारी फिर से सरकार से नई हरित क्रांति अभियान के तहत नए पेड़ लगाते हैं ऐसे कामों में हमेशा सामाजिक संस्थाएं ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी मिलजुल कर खूब अपना फेस सेविंग करते हैं मगर सच्चाई यह है कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लगाए हुए पेड़ हमेशा सूख जाते हैं

ग्रेटर नोएडा में कुत्तों का आतंक को लेकर भी अथॉरिटी का हमेशा ढुलमुल रवैया रहा है अखबारों सोशल मीडिया पर अथॉरिटी भले ही बड़े-बड़े कामों के दावे करती रही है अधिकारियों का कुछ सामाजिक संगठनों के साथ पीआर बिल्डिंग का काम बेहतरीन है मगर जमीनी तौर पर सोसायटी में रहने वाले लोगों का कुत्तों के आतंक से समाधान की कोई योजना नहीं है ऐसे में लगातार लोग आवारा कुत्तों के काटे जाने से परेशान रहते हैं शहर में कुत्तों के वैक्सीनेशन को लेकर कोई ठोस योजना कभी नहीं लाई गई है कुत्तों के पालने के लिए लाइसेंस और कुत्तों की टैगिंग जैसे महत्वपूर्ण विषय पर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का रुख हमेशा नकारात्मक है

शहर में सरकारी शिक्षा और सरकारी अस्पताल हमेशा ही जनता की मांग रही है लेकिन अथारटी की निगाह हमेशा महंगे निजी स्कुलो और अस्पतालों को ही ज़मीन देने पर रहती है I एक औधोगिक शहर में सरकारी स्कुलो और अस्पतालों का ना होना यहाँ की प्लानिंग पर सवाल उठाता है I दशको पहले मुख्यमंत्री मायावती के समय यहाँ २ अर्ध सरकारी बोर्डिंग स्कुल तो ग्रेटर नॉएडा अथारटी के अधिकार क्षेत्र में बनाये गये लेकिन उसके बाद कोई स्थापना बीते १० सालो में नहीं हुई है I अथारटी केअधिकारियों के अनुसार अथारटी सिर्फ ज़मीने दे सकती है वो खुद कुछ नहीं बना सकती है I ऐसी सोच के चलते ही शहर में नगर निगम की मांग जोर पकड़ने लगी है लोगो को लगता है कि उनके लिए सामान्य सुविधाए शायद निगम पार्षद ही पूरा कर पायेंगे

NCRKhabar Mobile Desk

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