कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 43 दिनों से जारी है। किसान आंदोलन को लेकर शुरू से विवाद खड़े होते रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि, इस आंदोलन के पीछे खालिस्तान मूवमेंट से सम्बंधित कुछ संगठन संक्रिय भूमिका में हैं। इनका मकसद है आंदोलन के बहाने खुद को मजबूत करना और अलगाववादी एजेंडे बढ़ावा देना। आंदोलन की शुरुआत में खालिस्तान से जुड़े कई पोस्टर दिखे थे लेकिन जब इस पर मीडिया की नज़र बनी और सुर्ख़ियों में पूरा मामला आया तो वैसे पोस्टर दिखने बंद हो गए।
लेकिन बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर मुफ्त पगड़ी वितरण कार्यक्रम हुआ, जिसका आयोजन सिख यूथ फेडरेशन भिंडरावाला नाम के संगठन ने किया था। इसमें पंजाब के किसानों को दस्तार बांधी जानी थी। वहां एक बुक स्टॉल लगा था, जिसमे ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाला और पंजाब में अलगाववाद का समर्थन करने वाले उनके अन्य साथियों का काफी महिमामंडन करने वाली किताब शहीद-ए-खालिस्तान भी बांटी गईं। इस कार्यक्रम में पंजाब के कुछ लोकप्रिय और बड़े चेहरे भी शामिल थे। इस दौरान इन किताबों को पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू और आंदोलन के समर्थन में आए सिख स्कॉलर सुखप्रीत सिंह उधोके को भी दी गई।
इस कार्य्रकम के कमान रंजीत सिंह के हाथ में थी, जो किसान आंदोलन से शुरुआत से ही जुड़े रहे हैं। ज्ञात है कि, वो खालिस्तानी संगठनों के साथ सहानुभूति रखते हैं। वो स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान के पोस्टर और बैनर भी लहरा चुके हैं।किसान आंदोलन में खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े लोगों की सक्रियता देखकर जब किसान नेताओं से सवाल किया जाता है तो वो कन्नी काट लेते हैं।
किसान आंदोलन में खालिस्तानी साहित्य की बांटी गई किताबों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी और दिल्ली पुलिस से बीजेपी प्रवक्ता तजिंदरपाल सिंह बग्गा ने कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा है कि, किसान आंदोलन में लोग खालिस्तानी साहित्य बांट रहे है उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
. @DelhiPolice @CPDelhi
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) January 7, 2021
people who are distributing Khalistani Books in Protest should be booked immediately pic.twitter.com/9qnCLECoFM