रिपब्लिक चैनल के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी जेल से बाहर आ गए हैं। उन्होंने बाहर आते ही ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए। उन्होंने पूरे जोश के साथ कहा, “मैं सुप्रीम का आभारी हूँ। ये भारत के लोगों की जीत है।”
इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनको रिहा करने के आदेश के बाद ही उनके समर्थक तलोजा जेल के बाहर ज़मा होना शुरू हो गये थे I पुरे देश में उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी रिहाई का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए
इससे पहले आज शाम अर्नब को रिहा करने के फैसले से पहले अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।”
कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब (टीवी पर अर्नब के तीखे सवालों) को नजरअंदाज करने की नसीहत दी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इस सब (टीवी पर अर्नब के तीखे सवालों) को नजरअंदाज करना चाहिए। इस दौरान कोर्ट के अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। उन्होंने पूछा कि अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?
अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।अर्नब ने बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इन्कार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बांबे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अर्नब और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इन्कार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था।
अर्नब की जमानत याचिका पर बहस के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस मामले में मई 2018 में एफआइआर दर्ज की गई थी। दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “ये कोई आतंकवाद का केस नहीं है, टेक्निकल ग्राउंड पर जमानत खारिज नहीं कि जा सकती, अगर ज़मानत नही दी गयी तो ये न्याय का मज़ाक होगा, अगर आज हस्तक्षेप नहीं किया गया तो हम विनाश के रास्ते पर चले जाएंगे”