रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है । जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस एम.आर.शाह की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। अदालत ने मुंबई पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ता और रिपब्लिक टीवी के मुंबई स्थित ऑफ़िस को सुरक्षा उपलब्ध कराएं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करना होगा। बेंच ने कहा कि तीन हफ़्ते तक याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए।
आपको बता दें पाल घर में हिन्दू संतो की भीड़ द्वारा मोब लिंचिंग पर सोनिया गांधी की चुप्पी पर एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर टिप्पणी को लेकर अर्णब के ख़िलाफ़ देश भर के कई राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा मुक़दमे दर्ज किए गए हैं। इसी के ख़िलाफ़ अर्णब ने याचिका दायर की है। इससे पहले २ दिन पहले रात को अर्नब और उनकी पत्नी के घर लौटते कथित टोर पर काग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया था I जिसकी रिपोर्ट अर्नब ने NM जोशी थाणे में लिखवाई थी जिस पर अर्नब ने सोनिया गांधी पर सीधा आरोप लगाया था
कांग्रेस की नेता और पूर्व विधायक अलका लाम्बा तो यूथ कांग्रेस के लोगो से अर्नब को सबक सिखाने को कह चूँकि थी और अर्नब पर हमले के बाद उन्होंने यूथ कांग्रेस जिंदाबाद का ट्वीट भी किया था
अदालत में अर्णब गोस्वामी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पैरवी की। जबकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की। रोहतगी ने कहा, ‘मेरे मुवक्किल राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। साधुओं की हत्या हुई है और गोस्वामी ने हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में कुछ नहीं कहा। गोस्वामी अपने शो में बस यह दिखाना चाहते थे कि पुलिस की मौजूदगी में इतनी क्रूर घटनाएं क्यों हो जाती हैं।’ रोहतगी ने अर्णब और रिपब्लिक टीवी के ऑफ़िस के लिए सुरक्षा देने की मांग की।
वही कांग्रेस की और से कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर कांग्रेस के लोगों ने एफ़आईआर दर्ज करवाई हैं, तो इसमें क्या दिक्क़त है क्या बीजेपी के लोग एफ़आईआर दर्ज नहीं करवाते?
राजनैतिक दलों का पत्रकारों पर हमला या कानूनी कार्यवाही में फसना कोई नयी बात नहीं है , कांग्रेस कई दशक पहले भी आपातकाल में ऐसे काम कर चुकी है जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर कई अखबारों की खबरे तक सेंसर की जाती थी I उस दौर में अखबारों ने अपने प्रथम प्रष्ट को खाली छोड़ना शुरू कर दिया था I ऐसे में आज फ्री कांग्रेस द्वारा ऐसे कृत्यों से आपातकाल की याद ताजा हो जाती है