नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में वसंत विहार गैंगरेप कांड के मुख्य आरोपी राम सिंह की आत्महत्या के दावे पर शक और गहरा गया है। यह बात सामने आई है कि जिस प्लास्टिक की बाल्टी पर चढ़कर राम सिंह द्वारा फांसी लगाने की बात कही जा रही है, वह फटी हुई है।
सवाल यह पैदा हो गया है कि क्या प्लास्टिक की बाल्टी या फटी हुई बाल्टी पर चढ़कर कोई व्यक्ति फांसी लगा सकता है? इसका जवाब तलाशने एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की टीम 22 मार्च को तिहाड़ जेल पहुंचने वाली है जो रामसिंह के फंदा लगाने का रिक्रिएशन (नाट्य रूपांतरण) कर सच्चाई पता लगाएगी।
रामसिंह तिहाड़ की जेल नंबर-2 के वार्ड-2 में बंद था। उसके साथ तीन अन्य कैदी भी थे। रामसिंह 11 मार्च को अपने सेल में सुबह 5.45 बजे फंदे से लटका पाया गया था। यह बात सामने आई थी कि उसने प्लास्टिक की बाल्टी पर चढ़कर करीब आठ फुट ऊंचे छत के गार्डर के सहारे फांसी लगाई है। मामले की न्यायिक जांच चल रही है। सूत्रों के अनुसार प्लास्टिक की वह बाल्टी एक तरफ से फटी हुई है। जांच टीम यह पता लगाना चाहती है कि बाल्टी पहले से फटी थी या फांसी लगाने के लिए उस पर चढ़ने पर फटी।
फांसी लगाने के क्रम में बाल्टी फटी तो क्या अकेला व्यक्ति उस पर चढ़कर फांसी लगा सकता है? इन सवालों के जवाब ढूंढे जाने हैं। पुलिस ने मंगलवार को एफएसएल टीम को पत्र लिखकर तिहाड़ में जांच करने के लिए कहा है। 22 मार्च को एफएसएल के विशेषज्ञ तिहाड़ में पड़ताल करेंगे। यह भी पता चला है कि रामसिंह ने फांसी लगाने के लिए तीन फीट लंबी सूत की रस्सी का भी इस्तेमाल किया था। दरी को काटकर इस रस्सी को मजबूत बनाया गया था। तिहाड़ जेल में रस्सी, फीते वाले जूते व नाड़े वाला पाजामा वर्जित है। फिर राम सिंह को जेल में रस्सी कैसे मिली? इसका भी पता लगाया जा रहा है।