सारी तस्वीरें जामिया विश्वविद्यालय के सामने की दो-तीन दिन पहले की है जब पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज शुरू नहीं हुई थी.
सवाल यह है कि अगर जामिया के छात्र हिंसक प्रदर्शन नहीं कर रहे थे और बाहरी लोगों ने पुलिस पर पथराव और तोड़फोड़ शुरू की तो उस वक्त जामिया प्रसाशन और छात्रों ने इसकी जानकारी पुलिस को क्यों नहीं दी??
सारी तस्वीरें विश्वविद्यालय कैंपस के मुख्य गेटों की हैं जो सड़क पर ही हैं और जहाँ से कैंपस में एंट्री होती है. जब ये प्रदर्शन हो रहे थे तो प्रसाशन ने उन्हें वहां से हटाने के लिए क्यों नहीं पुलिस या सुरक्षाकर्मियों को बुलाया??
नागरिकता संसोधन कानून को लेकर लगातार झूठ क्यों बोला जा रहा है? जब प्रसाशन और पुलिस भी कह रही है कि किसी की भी मौत नहीं हुई है तब एक तबका लगातार मौतों की अफवाह क्यों फैला रहा है??
इसके अलावा कई और तस्वीर है जिनमें जामिया टीचर्स एसोसिएशन द्वारा कैंपस के गेट पर पोस्टर लगाकर सरकार और कानून के खिलाफ विरोध जताया गया है.. जब CAA से आपका कोई लेना-देना ही नहीं है तो फिर आप बच्चों को कैंपस में पढ़ाने की बजाय बाहर प्रदर्शन करने क्यों निकले??
कैंपस के बाहर वो कौन लड़के हैं जो पीठ पर बैग लिए हुए, मुंह पर रूमाल बांधकर पुलिस की तरफ पथराव कर रहे हैं?
पुलिस को दोष दीजिए लेकिन वहां जहां उन्होंने खुद कानून तोड़ा हो लेकिन पहले गलती कर के उकसाइए और फिर सामने वाला जवाब दे तो विक्टिम-कार्ड खेलकर राजनीति मत करिए..
राजीव राय की फेसबुक वाल से