
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के 13 नेताओं पर बाबरी मस्जिद मामले में आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलेगा। यानि इन नेताओं की मुश्किलें बढ़नेवाली है, लेकिन सबसे अधिक मुश्किलें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की बढ़ेगी, क्योंकि इसी साल जुलाई में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं और राष्ट्रपति के नामों की चर्चा में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नाम सबसे आगे चल रहे थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आडवाणी और जोशी की दावेदारी धरी की धरी रह सकती है। साथ ही इन दोनों पर संसद से इस्तीफा देने का भी दबाव बन सकता है।
राष्ट्रपति पद पर सबसे मजबूत दावेदारी पार्टी को 2 से 200 सांसदों तक पहुंचाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी की मानी जा रही थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बीजेपी उम्मीदवार बनाने में संकोच कर सकती है। वैसे भी संघ से खराब हो चुके रिश्तों और पार्टी में हाशिये पर जाने के बाद अब उनका दावा उतना मजबूत नहीं दिखता। रही सही कसर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बाबरी विवाद के मामले में दोबारा उनका नाम आने से पूरी हो गई।