आईने सीधे करिये…. अपनी सच्ची तस्वीर नजर आएगी – अवनीश पी एन शर्मा

कश्मीर घाटी में सड़कों पर आतंक मचाते दिहाड़ी के पत्थरबाजों को पीडीपी-भाजपा वाली जम्मू-कश्मीर सरकार की स्टेट पुलिस के जवान, उस कारगर हथियार “पैलेट गन” से समझा रहे हैं…. कि अगर दशकों और पुश्तों की अलगाववादी अराजकता, आतंक के पत्थर तो क्या पहाड़ों पर भी कानून और निजाम के मामूली छर्रे भी सही निशानों पर पड़ जाएं जबाबी : तो लड़ के लेंगे आजादी, निजामे मुस्तफा, सौ टुकड़ों और बर्बादी के हौसलों को मरहम की फटी पट्टियां फैला …. मानवाधिकार की भीख याद आने लगती है।

“क्रांति सदा बंदूकों की नाल से पैदा होती है” वाले गिरोह जरा आईने देखें और बताएं कि : बीते सालों, दशकों में इन जमातों ने कितने शहीद सेना, पुलिस और आतंक से शहीद आम लोगों के लिए मरसिये और फातिहे पढ़े हैं ? क्या परिभाषा है आपके मानवाधिकार की ?

और भारत माता कीईईई जय वालों ! आप भी याद करें जरा : क्या आपको यह जानकारी और वाकई यकीन है न कि…. महबूबा मुफ्ती बतौर मुख्यमंत्री, सूबे में आतंकियों को अता किये जाते… खरीदे गए जेहनी समर्थनों को अपनी सूबाई पुलिस से यूँ गलियों के पत्थरों से निजामी छर्रों तक मजबूत सबक दे रही हैं !! एक यकीन और जोड़िये सकारात्मक निजामी व्यवहार का : महबूबा सरकार ने इसी बीती ईद 6 सौ से ऊपर पत्थरबाजों को माफ़ी भी दी तो सुधरने का मौका देते हुए।

पता नहीं आपको याद हो न हो, लेकिन सूबे में पीडीपी-भाजपा गठबंधन पर चलते बतकुच्चनों के बीच साझा सरकार के ऐलान उसे लेकर उठे … ऊह-आह-आउच के दरम्यान ही लिखा था, समर्थन करते हुए : “सुफेद दिल में उतरना हो या काला ज़िगर चीर के रख देना हो, दोनों ही हालात में आपके हाथों की पहुँच का आस्तीनों तक रहना जरूरी है”।

फिर सुनिये : गुरु के द्वारों में टैंक से निजाम चलाने और जंगलों से बंदूकों के हवाले आज़ादी की क्रान्ति चमकाने वालों के हाथ उल्टी तरफ को आईने अच्छे नहीं लगते, आईने सीधे करिये…. अपनी सच्ची तस्वीर नजर आएगी।

अवनीश पी एन शर्मा