
१३ का अशुभ नम्बर खायेगा अरविन्द की कुर्सी? जी हाँ यही सवाल अब सब लोग कह रहे है क्योंकि १३मार्च २०१५ को ही अरविन्द ने 21 विधायको को सचिव बना कर फायदा पहुचाने की कोशिश की I जिसके बाद इसे लेकर बीजेपी समेत सभी विपक्षी दलों ने एतराज किया I
इसके बाद अरविन्द केजरीवाल के नेत्रत्व वाली दिल्ली की सरकार ने आफिस आफ प्राफिट बिल पास किया ताकि इन विधायको की नियुक्ति को वैध ठहराया जा सके जिसे अब राष्ट्रपति ने वापस लौटा दिया है
अब नियति का खेल देखिये की १३ जून को ही राष्ट्रपति ने इस बिल को लौटाया है हालाँकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि वह लोकतंत्र का सम्मान नहीं करते और आप से डरते हैं। केजरीवाल ने ट्विटर के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि किसी भी विधायक को संसदीय सचिव के रूप में उनकी क्षमता से एक भी पैसा, कार या बंगला नहीं दिया गया और उन्होंने कहा कि वे मुफ्त में सेवाएं दे रहे हैं।
अब दिल्ली पर एक बार फिर से चुनावों की तलवार लटक गयी है , अब ये सिर्फ 21 विधायको की खाली हुई सीटो पर होगी या मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल नैतिकता के आधार पर खुद भी इस्तीफ़ा देकर सभी सीटो पर चुनाव करवा कर जनता के बीच जाना चाहेंगे